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कसने का प्रयास करते हैं। इसके आगे दोनों के लक्ष्य और क्षेत्र में भिन्नता है। नीतिशास्त्र की प्रणाली वैज्ञानिक होते हुए भी दार्शनिक तथ्यों पर आधारित है। यथार्थ अथवा असन्दिग्ध विज्ञान बाह्य-जगत की घटनाओं का सम्यक्, पर्यवेक्षण करता है। उसका ध्येय वस्तुओं और घटनाओं—मानसिक तथा भौतिक की तथ्यात्मक व्याख्या करना है। नीतिशास्त्र मान्यतामूलक है। उसके निर्णय का लक्ष्य मनुष्य का आचरण है । __ यथार्थ विज्ञान का सम्बन्ध जड़-जगत से है अथवा उन मानसिक घटनाओं से जिनकी कि प्राकृतिक रूप से व्याख्या की जा सकती है । वह मनुष्य और जड़जगत के व्यापारों का उनके स्वाभाविक रूप में वर्णन करता है। जड़-जगत की 'घटनाएँ चेतनाशून्य होती हैं, उनकी यान्त्रिक गति होती है। वे स्थिर प्राकृतिक नियमों द्वारा संचालित होती हैं। अत: यथार्थ विज्ञान जड़-जगत के व्यापारों के अस्तित्व, उत्पत्ति और विकास के बारे में निश्चित रूप से सामान्य नियमों का 'प्रतिपादन कर सकता है । नीतिशास्त्र मनुष्य के कर्मों और उनकी मूल प्रवृत्तियों की खोज करता है । संकल्प और आचरण की मूल प्रेरक शक्तियों की उन्नति, गति एवं व्यवहार की प्रगति को समझने का प्रयास करता है और समयानुकल
आचरण को नियमित करने के लिए सापेक्ष नियमों का प्रतिपादन करता है। 'किन्तु यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि मानव-व्यवहार की उत्पत्ति और विकास तक ही यह अपने को सीमित नहीं रखता है। वह नियामक विज्ञान है । उसका परम-लक्ष्य निःश्रेयस को समझना है। वह गौण रूप से ही कालक्रम में घटित होनेवाले आचरण को नियन्त्रित करने के लिए नियमों का प्रतिपादन करता है अथवा आचरण के उत्पत्तिविषयक शास्त्र का अध्ययन करता है। यथार्थ विज्ञान प्रासन्न घटनाओं के बारे में निश्चयपूर्वक कह सकता है। भौतिक 'घटनाएँ विशिष्ट परिस्थितियों के संयोग का अनिवार्य परिणाम हैं। किन्तु नीतिशास्त्र आचरण के बारे में निश्चयात्मक रूप से कुछ नहीं कह सकता । वह प्रत्यक्ष और ज्ञेय शक्तियों का.परिणाम नहीं है। उसका मल घटनामों से अनिवार्य सम्बन्ध नहीं है। वह कार्य-कारण के नियम द्वारा नहीं समझाया जा सकता।
१. देखिए-भाग १, अध्याय ३ ।। २. यदि कोई कहे कि मनुष्य का ज्ञान सीमित है और इस कारण विज्ञान के अनुसन्धान शत
प्रतिशत सत्य नहीं हो सकते हैं तो यह भी कहा जा सकता है कि यदि विज्ञान निन्यानबे प्रतिशत घदनामों के बारे में निश्चयात्मक रूप से कह सकता है तो नीतिशास्त्र मानव पाचरण के बारे में केवल एक प्रतिशत कह सकता है और वह भी अनिश्चित रूप से ।
नीतिशास्त्र और विज्ञान | ३५
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