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संवत् १९६९ का बीकानेर चातुर्मास
केवल एक शोभालालजी को ही ४०० थोकड़ा और ३२ सूत्र की वाचना स्पृष्ट रूप से थी ।
हमारे चरित्रनायकजी जब से शोभालालजी की सेवा में रहे, तब से उनकी प्रकृति की कुञ्ची आपके हाथ में आ गई, तथा आपकी प्रकृति को बे ठीक तौर पर समझ गये । इतना ही क्यों पर हमारे चरित्रनायकजी की विनय भक्ति, व्यावच्च पर स्वामी जी प्रसन्न होकर खुले दिल एवं उदारता पूर्वक ज्ञान देने लग गये । ब्यावर से विहार कर क्रमशः चर्तुमास के पूर्व आप बीकानेर पहुँच गये, तथा गणेशमलजी मालू की कोठरी में चतुर्मास कर दिया ।
पहिले तो व्याख्यान स्वामीजी आप ही दिया करते थे, किन्तु आप व्याख्यान में मुख्यकर सूत्र ही ज्यादा बांचते थे । अतएव आम तौर पर लोगों को इतना रस नहीं आता था। बाद में आपकी तबियत भी नर्म हो गई, इधर लोगों का बहुत श्राग्रह होने से व्याख्यान का काम हमारे चरित्रनायकजी के जिम्मे कर दिया था; फिर तो पूछना ही क्या था, परिषद् का ऐसा जमघट होने लगा कि मकान इतना बड़ा होने पर भी जनता को बैठने के लिए स्थान नहीं मिलता था ।
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इस वर्ष में हमारे चरित्रनायकजी को मुख्य लाभ तो यह हुआ है कि श्रीभगवती सूत्र श्रीपन्नत्रणजी सूत्र, श्रीजम्बुद्वीपपन्नति सूत्र, अनयोगद्वार सूत्र, स्थानायाङ्गजी सूत्र, समवायांगजी सूत्र, और श्रीसूयघड़ायांग सूत्र, एवं सात बड़े सूत्रों की वाचना तथा श्रीभगवती तथा पन्नावरण जैसे कठिन सूत्रों के १२५ थोकड़े कंठस्थ करने का सौभाग्य मिला । जैसे इस चतुर्मास में आपको ज्ञान