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आदर्श- ज्ञान-द्वितीय खण्ड
पन्याश – यहाँ कुछ द्रव्य की आवश्यक्ता पड़ेगी ? आत्मा साधु योग करते हैं और साधु योग करवाते हैं फिर द्रव्य की क्या जरूरत है ?
दूसरा
पन्यास – उपासरा में पुस्तक वगैरह मंगानी लिखानी और भी कई प्रकार का खर्चा है अतः रकम की जरूरत पड़ेगी । श्रात्मा० - यदि आपको किसी बात की जरूरत है तो श्रीसंघ स्वयं खर्च करेगा पर योग करवाने में यह सवाल क्या किया जाता है ?
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पन्यास - योग करना है तो हम कहें उतना खर्चा तुमको हो दिलाना होगा ।
अत्मा० - मैं ऐसा योग करना नहीं चाहता हूँ और न ऐसा योग करना किसी शास्त्र में लिखा है ।
पन्यास - यदि तुम योग नहीं करोगे तो तुमारी बड़ी दीक्षा न होगी ?
आत्मा० – कुछ भी हो मैं ऐसे पतित परिग्रहधारियों से योग करना किसी हालत में नही चाहता हूँ ।
पन्यास -योग नहीं करोगे तो क्या बड़ी दीक्षा भी नहीं
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लोगे ?
आत्मा० - पन्यासजी मैं केवल लकीर का फकीर ही नहीं हूँ यदि आप योग नहीं करावेंगे तो मैं भगवान् महावीर के मन्दिर में जा कर स्वयं योग कर लूंगा और गुरुमहाराज से बड़ी दीक्षा भी ले लूँगा ।
पन्यास - आत्मारामजी ! क्या तुम पूर्वाचार्यों की मर्यादा तोड़ने में ही अपना उदय समझते हो पर इस प्रकार की तुम्हारी