Book Title: Aadarsh Gyan
Author(s): Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 726
________________ ६२९ ओसियाँ का बोडिंग के लिए और पूछा कि बोर्डिङ्ग जमा जमाया है; इसको उठा देने में फलौदी वालों की ऐसी इच्छा क्यों हैं ? . मुनिश्री ने कहा कि इन लोगों के दिल में दर्द और ही है, और वह यह है कि जब गुरु महाराज की मौजूदगी में बोडिङ्ग की स्थापना हुई तब से ही यह नियम रखा गया कि तपागच्छ का विद्यार्थी हो उसे तपागच्छ की क्रिया और खरतर गच्छ के लड़के को खरतरगच्छ की क्रिया पढ़ाई जावे और यही मुनीम को आर्डर दे दिया गया था। बाद खरतर गच्छ को साध्वियों ने यह आन्दोलन उठाया कि ओसियाँ में तपागच्छ की क्रिया क्यों पढ़ाई जाती है, सबको खरतर गच्छ की क्रिया करवानी चाहिये, पर उनका कोई ऐसा प्रभाव नहीं पड़ा; तब सोनश्रीजी ने जोधपुर के श्रावकों को पत्र लिखा कि तुम्हारी मौजूदगी में ही श्रोसियों में तपा-गच्छ की क्रिया पढ़ाई जाती है, यह बड़ी भारी अफसोस की बात है । कृपाचंद सूरि ने नेमीचंदजी के कान भर दिये कि तुम तो हमारे गच्छ के दुश्मन पैदा कर रहे हो, इत्यादि । इसलिए इन लोगों की राय बोर्डिङ्ग उठा देने की है। बीकानेर वाले सुनकर दंग हो गये कि अहो आश्चर्य है ! केवल एक गच्छ कदाग्रह के लिए इस प्रकार शासन को नुकसान पहुँचाना कितनी अज्ञान दशा है ? उदयचन्दजी ने कहा कि यदि फलौदी के अतिरिक्त किसी अन्य प्राम वाले इस कार्य को हाथ में ले तो क्या वह चला सकता है ? मुनिक-खुशो से, कारण यह तो श्रीसंघ का ही कार्य है।

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