Book Title: Aadarsh Gyan
Author(s): Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 728
________________ ओसियाँ का बोडिंग के लिये पर उसके लिए रकम तो होनी चाहिये नां ? रकम के लिए कहा है कि फिलहाल फलोदी के मन्दिर से रकम मंगवा लें, पर हॉल होना आवश्यक है; समय जाने पर फिर रकम होने पर भी कुछ नहीं होगा। इस पर उपस्थित लोगों में बहुत से सज्जनों के जच गई कि कोठरियों की अपेक्षा हॉल होना अच्छा है और जो रकम कोठरियों के लिए खर्च की जाती है उसके अतिरिक्त जो खर्च हो वह मन्दिरों से नाम मंड़ा कर रकम ले ली जावे, पुनः ब्याज सहित जमा करा दी जावेगी । बस, यह बात तो सर्व सम्मति से निश्चित हो गई कि खाली पड़ी हुई भूमि पर एक ही हॉल बनवाना चाहिये। ____ अब रहा बोर्डिङ्ग का सवाल; किसी ने कहा मुनिश्री के पास चलो, इस मामले को वहां तय किया जावेगा; इस पर सब लोग उठ कर मुनिश्री के पास आये और इस विषय में बहुत कुछ तर्क वितर्क हुए; आखिर में मुनिश्री ने कहा कि फिलह ल एक वर्ष के लिए बोर्डिंग का काम बीकानेर वालों पर छोड़ दिया जावे, तथा एक वर्ष तो वे मेहनत कर इसको चलावें, आगे के लिए फिर देखी जावेगी। इस पर सबकी सम्मति हो गई, और समीरमलजी उदयचंदजी ने मुनिश्री के हुकम को शिरोधार्य कर लिया। गुरु महाराज का आर्शीवाद रूप मंगलीक ही ऐसा था कि बिना परिश्रम ही काम फतह हो गया । बीकानेर वालों ने मुनि श्री को कहा, आपने इतना बड़ा काम हमारे सुपुर्द तो कर दिया पर अब आपको बीकानेर पधार कर इसके लिए उपदेश करना होगा।

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