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स.रिजी और योगीराज को झूठा समझे ? जो गणधरों ने फरमाया है ।
सूरिजी-नहीं, सूत्रों के पाठ को पहले मानना चाहिये ।
योगी०-बस, मैंने सूत्र के अनुसार ही ज्ञान सुन्दरजी को बड़ी दीक्षा दी है, यदि इस विषय में कोई शास्त्रार्थ करना चाहता हो तो मैं शास्त्रार्थ कर इस बात को सिद्ध करने को प्रस्तुत हूँ कि योग्य साधु को सातवें दिन बड़ी दीक्षा दी जा सकती है । फिर आपके एक मास के योग को वहाँ स्थान मिल सकता है ?
सूरिजी-तुम योगीराज हो, तुम्हारे लिए हम कुछ भी नहीं कह सकते हैं । लो आओं आहार पानी तो करलो ।
योगी-आहार पानी करने के लिए मेरा इन्कार नहीं है, पर दूसरे साधु आपको कुछ कहेंगे तो नहीं न ? ___सूरिजी-दूसरे साधु क्या कह सकते हैं, वे मेरी आज्ञा में हैं या मैं उनकी श्राज्ञा में हूँ ? पर मैं एक बात तुमको और कह देता हूँ कि यदि हम सुरत में रहें वहाँ तक तुम ज्ञानसुन्दर के साथ न रह कर हमारे साथ रहो तो अच्छा है ।
योगी-यह हमारे से नहीं बन सकता।
सूरिजी-अच्छा तुम बड़ेचोटा के उपाश्रय में ठहरना, तथा हम गोपीपुरा में ठहर जावेंगे।
योगी०- बहुत अच्छा है। सरिजी-लो, अभी तो आहार पानी कर लो।
योगीः-सरिजी के साथ श्राहार पानी कर लिया और रात्रि भर वहीं सूरिजी महाराज की सेवा में रहे । ____ दूसरे दिन तो सूरिजी महाराज का बड़ा ही शानदार सम्मेलन हुभा, मुनि ज्ञानसुन्दरजी भी सूरिजी की सेवा में पहुँच गये; सूरि