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व्याख्यान में पैशाब का प्रश्न
चाहते हैं ? क्षमायाचना तो हमें करनी चाहिए कि आप जैसे विद्वान और सत्य के संशोधक यहाँ होने पर भी हम लोगों से आप की कुछ भी सेवा बन नहीं आई, किंतु अब हम प्रतिज्ञापूर्वक कहते हैं कि हम लोगों से बनेगा वहां तक आपकी सेवा करेंगे, अर्थात् हमेशा व्याख्यान सुनेंगे |
६८ - व्याख्यान में प्रश्न और उसका निर्णय
इस प्रकार बातें होती ही थों कि बीच में एक व्यक्ति बोल उठा कि महाराज मेरे दिल में एक शंका है और वह यह है कि कई लोग कहते हैं कि ढूँढ़िया पेशाब से शौच करते हैं शौच के समय शिर धोते हैं, मोली, मुंहपत्ती भी धोते हैं और कभी २ पेशाब को पी भी लेते हैं क्या यह सत्य है ? कारण आप ९ वर्ष ढूँढ़ियों में रहे हैं और आप पर मैं इतना विश्वास रखता हूँ कि आप कभी झूठ बात नहीं कहेंगे ?
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मुनि - ऐसा प्रश्न न तो आपको व्याख्यान में पूछना चाहिए श्रौर न मैं ऐसे प्रश्न का उत्तर देना भी चाहता हूँ । यदि मैं इस प्रश्न के उत्तर में सत्य भी कहूँ तो लोग समझ लेंगे कि द्वेष के मारे निंदा करते हैं । अतः मैं ऐसे प्रश्न का उत्तर व्याख्यान में देना
चाहता हूँ । व्यक्ति-तब आप सच्चे साधु ही नहीं हैं, कारण सत्यः कहने में आप इतने घबराते हैं, तो फिर आप अपना एवं दुनिया का कल्याण ही क्या कर सकोगे ?
मुनि० - आप, जैसी आप की इच्छा हो वैसा ही समझो, किन्तु मैं ऐसे प्रश्न का उत्तर व्याख्यान में देना नहीं चाहता हूँ ।