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आदर्श ज्ञान द्वितीय खण्ड
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बेदरकारी ने लीधेज थयो छे, एटले अमे केवी रोते भोजन करिये । ___ मुनि०-गमे तेम हो, अमारे तो श्राज उपवास छे पण तमने एटलुज कहुँ छू के तमे गमे त्यां जाओ, पहिले साधुसाध्वीनी सार संभाल लीजो। - श्रावक-पश्चाताप करवा पछी तेश्रो भोजन किधु अने स्यार बाद मुनिश्री ने पास भाव्या, हवे क्यां पधारशो आपने साथ कोई माणस नथो ? ____ मुनि-अमे मारवाड़ थी श्री केसरियाजी नी यात्रा करी ने श्राव्या छीए जघड़ीये गुरु महाराज पासे जावना छाए अने पछी शत्रुञ्जयनी यात्रा करवी छ, अमारे साथे माणस नथी पण एक जोधपुरना श्रावक छे ते आजनी गाड़ी थी अहमदाबाद गया छे। ___ श्रावक-साहिब आप काले यहाँ ठेरो अमे पण रही जासु, काले पारणो करीने विहार करजो। .
मुनि-पारणाने लीधे तुमने रहवु पड़े, आ प्रमाणे अमे रहवाने माटे तैयार नथी, सुबह विहारना भाव छ।
श्रावक-अहमदाबाद आप क्याँ उतरसो।
मुनि-अमारो त्या घर मठ के, उपासरो नथी, ज्याँ जगह मिलशे त्या विश्राम लइ लेसु। ___ श्रावक-फक्कड़ गुरुना शिष्य पण फक्कड़ज होय छ, साहिब आप अहमदाबाद में पहली आवेला छो ? कोई ने साथे जाण पैचाण छे?
मुनि०-ना, पहली नथी आव्यो, जाण पैछाण के भगवान महावीर ने साथ । बीजु त्यां मारवाडियो ना ५०० घर छे, अने केटलाक तो अमारे संसार पक्ष ना संबंधी पण छे, पण जाण