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एक बुड़िया के प्रश्नों के उत्तर
मुनि० - जे घरना रंग थी कापड़ रंगाय तेने ज साधु कहवाय; बीजा मूल्य ना रंग थी रंगवा मां साधुत्व नथी, आतो पोतानी . पेट भराइनु साधन छे ।
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बुढी० - कांइक समझी, अने कहवा लागी के घरनो रंग अने वेचातो बाजारनो रंग नो तमें शु अर्थ करो छो ?
मुनि-घरनो रंग पटले श्रात्मानो वैराग्यरंग होय तो साधु कहवाय अने बजारनो मोल बेचाता रंगथी, कापड़ रंगवा अटेले रोटला माटे साधु कहवाई, पेटनी पूजा करवी ।
बुढी० -त्यारे शुं कापड़ रंगवा वाला साधु पेटना पुजारी छे ? मुनि० - हुँ ऐम नथी, कहतो जेने घरनो रंग होय पछे बेचाता रंग थी कापड़ रंगे या न रंगे तो पण खरा साधु कहवाय । बुढी० - तमे कापड़ रंगता नथी ओटले तमारे घरनो रंग छे, नो अर्थ तो एमज थयो के तमे खरा साधु हो । मुनि० - ना बहेन तमे भूल करो छे दधुं हतो के
मे तो पहला थी कही मारे पास रंग नथी टले कापड़ रंगता नथी । बुढी० - तमें कई भणेला पण छो ?
मुनि० - साधारण ।
बुढी० - श्री जंबुद्वीप फेटलो लंबो पहुलो छे ? मुनि०- एक लाख योजन नो ।
बुट्टो०- एनी परिधि केटलो छे ?
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मुनि० - सुनो बहीन ३१६२२७ योजन, तीनगाउ, एकसौ अठावीस धनुष्य, साडा तेरहअंगुल एक जों, एक जूँ, एक लीख अने पांच व्यवहारिया परमाणु जेटली ।
बुड्ढी० - जम्बुद्वीप मां शाश्वता पर्वत केटला है ?
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