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पूज्य पदवी की प्रार्थना लोकापवाद की तनक भी परवाह न कर वीतराग के सत्य मार्ग का अवलम्बन कर अपना कल्याण कर सकते हैं।"
श्रावकों ने पूछा-"क्या आप जिस मार्ग का अवलम्बन करने को उद्यत हुए हैं, उसके सिवाय और कहीं पर आत्म कल्याण है ही नहीं ? यदि ऐसा है तो फिर शास्त्रों में स्वलिंगी, अन्यलिंगी और गृहलिंगी सिद्ध होना क्यों कहा है ?"
मुनि-गृहलिंगी एक समय ४, अन्य लिंगी एक समय १०, और स्वलिंगी एक समय १०८ सिद्ध होना शास्त्रकारों ने बतलाया है । इस पर आप समझ सकते हैं कि धौरी मार्ग स्वलिंगी का ही है । मैं आज मूर्ति की उपासना करता हूँ और मुँहपत्ती का डोरा दूर रखने को तैयार हुआ हूँ यही तो धौरी मार्ग है।" ____ श्रावक-"मूर्ति की उपासना करने से और मुंहपत्ती का डोरा तोड़ देने से आपका कल्याण हो जावेगा न ? और क्या मर्ति न पूजने वाले. या डोराडाल दिनभर मुँह पर मुंहपत्ती बांधने वाले सबके लिये कल्याण का मार्ग रूक जायगा। या वे सब लोग नकही में जावेंगे ?" ____ मुनि-मूर्ति न पूजने और डोराडाल, दिनभर मुंहपर मुंहपत्ती बांधने से केवल इतना ही नुकसान नहीं होता, बल्कि इन असत्य बातों को सत्यं बनाने में अनेक प्रकार से उत्सूत्र, प्ररूपना कर अनन्त संसार की वृद्धि भी करनी पड़ती है।" ___ श्रावक-"क्या मूर्ति न पूजने वाले और डोराडाल कर दिन भर मुँहपत्ती बांधने वाले इतने बड़े समुदाय में ऐसा कोई भी मात्मार्थी मुमुक्षु नहीं है जो उत्सूत्र भाषण कर अनन्त संसार बढ़ाने से डरता हो।"