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प्राचीनता की शोध खोज
बहुत कम थी । परिणाम यह हुआ कि योगिराज के पास रहते हुए भी वे इस कार्य में जितने लाभान्वित हा सकते थे, उतने न हो सके।
४८ अोसियाँ बोर्डिङ्ग के लिए प्रयत्न
एक दिन गुरू महाराज ने मुनिजी से कहा कि बोर्डिङ्ग तो स्थापित कर दिया, किन्तु अभी तक जैनों का एक भी लड़का नहीं
आया है । अतः तुम आस-पास के ग्रामों में जाकर उपदेश दो और लड़कों को लाओ, क्योंकि तुम ही इस बोर्डिङ्ग के जन्मदाता हो। ___मुनि०-बोडिंग का जन्मदाता तो मैं नहीं, किन्तु आप हैं । मैं तो आपकी आज्ञा का पालन करने वाला एक अनुचर मात्र हूँ।
योगी०- खैर, तुम कुछ भी समझो। मैं ऐसी झंझटों में पड़ना नहीं चाहता । यदि बोर्डिङ्ग चलाना है तो पहिले लड़कों को लाने की कोशिश करो। - मुनि०-श्रापका हुक्म सिर पर है, किन्तु मुनीम चुन्नीलाल भाई को आप साथ भेज सकें तो मुझे बड़ी ही सुविधा रहेगी। ____ योगी०-ठीक है, मुनीम को ले जाओ। बस, मुनीम को बुला कर कह दिया गया कि यदि तुमको बोर्डिङ्ग चलाना है तो मुनिजी के साथ लड़कों को लाने के लिए ग्रामों में जाओ और जैसा मुनिजी कहें वैसा करो, कारण मैं इस कार्य में मेरा समय नहीं दे सकता हूँ और न मेरे से यह खटपट होती है। अतः मुनिजी कहें वैसा तुम किया करो। ___मुनीम-जैसा आप फरमा, वैसा मैं करने को तैयार हूँ। हाँ, मैं जानता हूँ कि आप योगिराज हैं। ऐसी खटपट आपको