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आदर्श-ज्ञान-द्वितीय खण्ड
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को बदलो और गुरु आदि का विनय भक्ति करो। विनय एक ऐसा मोहनी मंत्र है कि जिससे गुरु तो क्या पर सब जगत वश में हो जाता है, इत्यादि समाचार कहलाये जिससे उन को थोड़ी बहुत शांति अवश्य मिली थी। ___ मुनिश्री के नेत्रों में हरदम तकलीफ रहा करती थी; डाक्टर निरंजननाथजी को देखने से मालूम हुआ कि ऑपरेशन करना पड़ेगा, लेकिन उन दिनों में डाक्टर साहब का एक पुत्र शांत हो गया था, अतः आप शफाखने में नहीं जाते थे और प्रायः उदास रहते थे। एक दिन मुनिश्री डाक्टर साहब के यहां गये थे
और आपको संसार असारता के विषय में ऐसा वैराग्यमय उपदेश दिया कि डाक्टर साहब को कुछ शांति मिली । बाद आपने कहा कि जब मैं शफ़ाखाने में जाऊंगा तब आपको सूचना कर दूंगा । अतः आप पधारजाना मैं आके ऑपरेशन कर दूंगा। ___जोधपुर के श्रीसंघ एवं साध्वियों के आग्रह से व्याख्यान में श्रीभगवतीजी सूत्र बांधने का निश्चय हुआ और आषाढ़ कृष्ण ३ को सुबह सब तरह की तैयारी हो रही थी, केवल आधा घंटे की देरी थी। इतने में तो डाक्टर साहब का श्रादमा आया मुनिश्री रत्नराजजी बंधा मेहता को साथ लेकर शफ़ास्त्राने गये । न्यों हो वहां पहुंचे कि डाक्टर साहब ने आप के आंख का ऑपरेशन कर डाला । विशेषता तो यह थी की डाक्टर साहब ने आंख पर पट्टी तक भी नहीं बांधी और जबानी व्याख्यान देने को भी आज्ञा दे दी। मुनिश्रीजी ने रत्नराजजी को कह दिया कि आप अभी ऑपरेशन की बात किसी से भी नहीं कहना, कारण लोग फिजूल में ही हाँ हुँ मचा देवेंगे । बस आपने जा कर व्याख्यान के