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योगीराज के चमत्कार
एक समय उसी तेजमल की तिजोरी जिसकी चाबी उसके पास सुरक्षित थी, और तिजोरी से जेवर का डब्बा चला गया । प्रसंगवश तिजोरी को खोली तो डब्बा नहीं पाया, उसने सीधे ही गुरु महाराज के पास आकर अपना सब हाल निवेदन किया । गुरु महाराज ने कहा, तुम केसरियाजी की यात्रा करो | तेजमलजी ने केसरियाजी जाकर यात्रा की, बाद शाम को धर्मशाला में आकर ठहरे । वहाँ कारखाने का एक आदमी पुकार करता है कि तेजमल भण्डारी कौन है ? तेजमल ने जवाब दिया कि क्या काम है, तेजमल भण्डारी मैं हूँ । आदमी ने कहा कि चलो, कारखाने में तुमको बुलाते हैं। तेजमल कारखाने में गया तो वहाँ का मुनिम कहने लगा कि तुम्हारा इतना ज़ेवर यहाँ जमा है; या तो तुम ले जाओ, नहीं तो देवस्थान महकमा उदयपुर को भेजा जाता है । तेजमल विस्मित हो गया कि यह क्या बात है ?
तेजमल ने मुनिम के कहने पर अपनी जमानत देकर जेवर ले लिया, वह जेवर उतना ही था जितना कि तिजोरी के डब्बे में था; योगीराज के इस चमत्कार को देख बड़ा भारो आश्चर्य हुआ; उसने वहाँ से श्रोसियाँ आकर योगीराज का दर्शन कर सब हाल कह ! !
इस प्रकार एक नहीं वरन् अनेकों चमत्कार योगीराज के प्रसिद्ध थे, और योगाभ्यासियों के ऐसे चमत्कार हों तो इसमें कोई आश्चर्य भी नहीं है, क्योंकि श्रात्मा में अनेक लब्धियें विद्य मान हैं। जितना जितना क्षयोपसम होता है, उतना उतना प्रकट हो ही जाता है ।
दूसरे शास्त्रकारों ने निमित्त कारण भी बतलाया है, जिसके निमित्त कारण से किसी का भी भला होना हो, उसमें वैसा ही