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४३क्या ऋतुवती प्रारजियाँ सूत्र बाँच सकती हैं?
जब तीवरी में हमारे चरित्रनायकजा का चातुर्मास था, उसो समय प्रदेशियों में नंदकुँवरजी की प्रारजियाँ पानकुंवरजी काचातु मांस भी था। और वहां भी दोपहर के समय श्रीभगवतीजी सूत्र बांचती थों। मोतीलालजी श्री श्रीमाल, और अचलदासजी लोढ़ा वगैरह उनके भक्त थे । मुनिश्री प्रातः समय व्याख्यान में श्रीभग वतीजी सूत्र बांचते थे,अतः अचलदासजी वगैरह सुबह मुनिश्री से श्रीभगवतीजी सुनते थे और दोपहर को पानकुंवरजी के पास । __सुनने वाले कई बार दोनों तरफ के व्याख्यान सुन कभी २ प्रश्न करते थे, किंतु मुनिश्री के प्रश्न को पानकुंवरजी हल नहीं कर सकती थीं । ऐसी दशा में उनके पास सिवाय निंदा के और क्या था ? मुनिश्री ने कहा कि थली में जन्मी हुई विचारी पान कुंवर ने कब भगवतीजी बांची है, किंतु अँधों के बीच काँना भी राव हुश्रा करता है। ____ अचलदासजी-पानकुँवरजी तो बड़े ही पाण्डता हैं, अप द्वेष भाव से ही तो ऐसा न फरमाते हैं ?
मुनि०-यदि पानकुँवरजी लिखी-पढ़ी हैं तो उनको पूछो कि श्रीभगवतीजी सूत्र कालिक हैं या उत्कालिक ?
अचलदासजी ने पानकुंवरजी से जाकर प्रश्न किया कि श्रीभगवतीजी सूत्र कालिक हैं या उत्कालिक ? .
पान०-कालिक । अचल-कालिक सूत्र काल में बंचता है या उत्काल में ?