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संवत् १९६९ का बीकानेर चतुर्मास मेव०-किसी विद्वान से पछ कर निर्णय करना, किन्तु श्राप किसी साधारण व्यक्ति के सामने इस बात की चर्चा न करना, एवं इस बात को खूब ध्यान में रखना ।
गयवर०-मेघराजजी साहिब, आप तो इसका कारण जानते ही होंगे, फिर आप ही क्यों नहीं बतला देते हो ? जब तक आप इस बात के रहस्य को नहीं बतलावगे, तब तक मेरे दिल के संकल्प विकल्प नहीं मिट सकेंगे। ____ मेघ०-मैं इस विषय में अभी कुछ भी नहीं कह सकता हूँ, आप अवकाश मिलने पर किसी विद्वान पुरुष से जाकर पछ लेना। * गयवर०-आप यह तो बतलावें कि मैं किस विद्वान के पास जाकर इस प्रश्न का समाधान करु।
मेघ०-इस विषय का ज्ञान स्वामी कर्मचन्दजी, कनकमलजी और शोभालालजी को है, आप उनसे मिलें तब पूछ कर निर्णय कर लेना। ___ गयवर०- इन तीनों में से एक भी मुनि इस समय यहां उपस्थित नहीं है, हां शोभालालजी यहां पर थे, किन्तु वे भी विहार कर गये हैं। ___ मेघ--खैर, जब मिलें तब पूछ लेना।
एक समय की घटना है कि आप के तपस्या का पारना था, हमेशा की भांति सुबह ही बासी रोटी वगैरहः ले आये थे । मेघराजजी ने उसे देख कर कहा कि इतनी बड़ी तपस्या कर आप पौरषी क्यों नहीं करते हो, अर्थात् बासी रोटी खाकर आप असंख्य त्रस जीवों के हिंसक क्यों बनते हो ?