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ftaar भाग १ लो.
(क) जीवतन्त्र के चौदा भेद है। सूक्ष्म पकेन्द्रिय, वादर एकेन्द्रिय, बेन्द्रिय तेइन्द्रिय चोरिन्द्रिय, असंज्ञी पंचेन्द्रिय, संज्ञीपंचेन्द्रिय एवं सातोंके पर्याप्ता. सातों के अपर्याप्ता मीलानेसे १४ भेद जीवका है ।
(ख) अजीत
चौदे भेद है यथा-धर्मास्तिकाके तीन भेद है धर्मास्तिकाय के स्कन्ध, देश, प्रदेश, एवं अधर्मास्तिकायके स्कन्ध, देश, प्रदेश एवं आकाशास्तिकायके स्कन्ध, देश, प्रदेश एवं नौ और दशवा काल, तथा पुद्गलास्तिकायके व्यार भेद स्कन्धः स्कन्धदेश स्कन्धप्रदेश, परमाणु पुद्गल एवं चौदा भेद अजीवका है ।
(ग) पुन्यत्र के नौ भेद है । अन्न देना पुन्य, पाणी देना पुन्य, मकान देणा पुन्य, पाटपाटला शय्या देना पुन्य. वस्त्र देना पुन्य, मनपुन्य, वचनपुन्य, काय पुन्य, नमस्कारपुन्य. (घ) पापतचके अठारा भेद । प्राणातिपात (जीबहिंसा करना ) मृषावाद ( जुठ बोलना ) अदत्तादान ( चोरी करना ) मैथुन, परिग्रह, क्रोध, मान, माया, लोभ, राग द्वेष, कलह, अभ्याख्यान, पैशुन, परपरीवाद, रति अरति, मायामृषाबाद, मिथ्यात्वशल्य एवं १८ पाप.
(च) श्रवतत्व २० भेद है यथा- मिथ्यात्वाश्रव, अव्रताभव, प्रमादाश्रव, कषायाश्रव, अशुभयोगाश्रम, प्राणातिपाताश्रव, मृषावादाश्रम, अदत्तादानाश्रव, मैथुनाश्रव, परिग्रहाश्रव, श्रोत्रेन्द्रियकों अपने कब्जे में न रखनाश्रत्र एवं चचइन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, रसेन्द्रिय, स्पर्शेन्द्रिय एवं मनः वचन० काय० अपने वसमे न रखे, भंडोंपकरण अयत्नासे लेना, अय