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(१०२) शीघ्रबोध भाग २ जो. स्कन्ध, तीन प्रदेशी स्कन्ध एवं च्यार पांच यावत् दश प्रदेशी स्कन्ध संख्यात प्रदेशी स्कंध, असंख्यात प्रदेशी. स्कंध. अनंत प्रदेशी स्कन्ध कहे जाते है. निश्चयनयसे परमाणु जीस वर्णका होते है वह उसी वर्णपणे रहते है कारण वस्तुधर्मका नाश कीसी प्रकारसे नही होता है व्यवहारनयसे परमाणुवोंका परावर्तन भी होते है व्यवहारनयसे एक पदार्थ एक वर्णका कहा जाता है जसे कोयल श्याम, तोताहरा, मांमलीया लाल, हल्दी पीली, हंस सुपेद परन्तु निश्चयनयसे इन सब पदार्थी में वर्णादि वीसों बोल पाते है कारण पदार्थकि व्याख्या करनेमें गौणता और मुख्यता अवश्य रहेती है जेसे कोयलकों श्याकवर्णी कही जाती है वह मुख्यता पेक्षासे कहा जाता है परन्तु गौणतापेक्षासे उनोंके अन्दर पांच वर्ण, दो गन्ध, पांच रस, आठ स्पर्श भी मीलते है इसी अपेक्षानुसार पुद्गलोंके ५३० भेद कहते है यथा पुद्गल पांच प्रकारसे प्रणमते है (१) वर्णपणे (२) गन्धपणे (३) रसपणे (४) स्पर्शपणे (५) संस्थानपणे इनोंके उत्तर भेद २५ है जेसे वर्ण श्याम हरा, रक्त (लाल , पीला, सुपेद. गन्ध दो प्रकार सुर्भिगन्ध, दुर्भिगन्ध, रस-तिक्त, कटुक, कषायन, अम्बील, मधुर, स्पर्श, कर्कश, मृदुल, गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध, रुक्ष. संस्थानपरिमंडल (चुडीके आकार ) वट ( गोल लडंके आकार ) तंस (तीखुणासीघोडेके आकार ) चौरस-चोकीके आकार, आयत. रन ( लंबा बांसके आकार ) एवं ५-२-५-८-५ मीलाके २५ भेद होते है।
कालावर्णकि पृच्छा शेष च्यार वर्ण प्रतिपक्षी रखके शेष कालावर्णमें दो गन्ध, पांच रम, आठ स्पर्श, पांच संस्थान एवं २० बोल मोलते है इसी माफीक हरावर्णकि पृच्छा शेष च्यार वर्ण