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( २२०) शीघबोध भाग ३ जो. कम है पांचवी नरक में शीतयोनि नरिये कम है उष्णयोनि ज्यादा है. छठी सातवी नरक में उष्णयोनि नैरिया है। सर्व देवता तीर्यच पांचेन्द्रिय और मनुष्यों में शीतोष्णायोनि है। च्यार स्थावर तीन वैकलेन्द्रिय में तीनों योनि पावे. और तेउ. काय केवल उष्णयोनि है। सिद्ध भगवान अयोनि है । (१) सर्व. स्तोक शीतोष्ण योनिवाले जीव. (२) उनो से उष्णयोनिवाले जीव असंख्यातगुणे ( ३) अयोनिवाले जीव अनंतगुणे ४) शी. तयोनिवाले जीव अनंतगुणे ।
योनि तीन प्रकार कि है. सचित्तयोनि, अपित्तयोनि, मिश्रयोनि, नारकी देवता अचितयोनि में उत्पन्न होते है. पांच स्थावर तीन वकलेन्द्रि असंज्ञी तीर्यच, असंज्ञी मनुष्य में योनि तीनों पावे. संज्ञी मनुष्य तीर्यच में एक मिश्रयोनि है. (१) सिद्धभगवान अयोनि है (१)सर्वस्तोक, मिश्रयोनिवाले जीव, २१ अचितयोनि वाले जीव असंख्यातगुणे, (३) अयोनीवाले जीव अनंतगुणे ४) सचित योनिवाले अनंतगुणे.
योनि तीन प्रकार की ह संवृतयोनि, असंवृतयोनि, मिश्रयोनि. नारकी देवता और पांच स्थावर के संवृतयोनि है तीन वैकलेन्द्रिय, असंज्ञा तीर्यच मनुष्य के असंवृतयोनि है. संज्ञी तीर्यच संज्ञा मनुष्यो के मिश्रयोनि सिद्ध भगवान् अयोनि है। १) सर्वस्तोक मिश्रयोनिवाले जीव है (२) असंवृतयोनिवाले असंख्यात गुणे(३) अयोनिवाले अनंतगुणे (४)संवृतयोनिनवाले अनंतगुणे है । ___ योनि तीन प्रकार की है कुम्मायोनि. संक्खावर्तनयोनि, वं. सीपत्तायोनि. कुम्मायोनि तीर्थंकरादिके माताकि होती है। संक्खावर्तन योनि चक्रवत्ति के स्त्रि रत्नकी होती है जिसमें जीव पुद्गल उत्पन्न होते है विध्वंसभी होते है परन्तु योनिद्वारा जन्मते