Book Title: Shighra Bodh Part 01 To 05
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukhsagar Gyan Pracharak Sabha

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Page 379
________________ कर्माबाधाकाल. (३३३ ) पंचेन्द्री पूर्ववत्. संज्ञी पंचेन्द्री जघन्य अंतः कोडाकोडी सागरोपम. उत्कृष्ट समुच्चयवत्. नाराच संहनन १ और सादि संस्थान २ ये दो प्रकृति जो समुच्चय जीव बांधे तो जघन्य १ सागरोपम के पेतीसिया ७ भाग उत्कृष्ट १४ कोडाकोड सागरोपम अबाधाकाल १४०० वर्ष एकेन्द्री यावत् असंझी पंचेन्द्री पूर्ववत् संज्ञी पंचेन्द्री जघन्य अन्तः कोडा. कोड सागरोपम उत्कृष्ट पूर्ववत् । अर्द्ध नाराच संहनन और बांमन 'सस्थान ए दो प्रकृति समुच्चयजीव वांधे तो ज०१ सागरोपम के पैतीसीय ८ भाग. उ. १६ कोडाकोड सागरोपम-अबाधा काल १६०० वर्ष शेष पूर्ववत् । नील वर्ण और कटुक रस ए दो प्रकृति समु० जीव बांधे तों जघन्य एक सागरोपम के अठावीसीया ७ भाग उ० १७|| कोडा कोड सागरोपम अबाधा काल १७५० वर्ष शेष पूर्ववत् । पेत्त वर्ण और आंबिल रस ए दो प्रकृति समु० जीव बांधे तो जघन्य एक सागरोपम के अठावीसीया ५ भाग उ० १२ कोडकोड सागरोपम अबाधाकाल १२५० बर्ष शेष पूर्ववत् । ___नरकायुष्य और देवायुष्य ए दो प्रकृति, पंचेन्द्री बांधे तो जघन्य १८००० वर्ष उ०३३ सागरोपम अबाधाकाल ज० अन्तर महुर्त उ० कोड पूर्व के तीजे भाग । तीर्यचायुष्य और मनुष्यायुष्य ए दो प्रकृति बांधे तो जघन्य अन्तर मुहुर्त उ०३ पल्योपम अबाधाकाल ज० अन्तर० उ. कोड पूर्व के तीजे भाग इसी को कण्ठस्थ करों और बिस्तार गुरुमुखसे सुनो। . सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम्.

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