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( ३४१) शीघ्रबोध भाग ५ वा. तेरह बोलों में वेदनी कर्म बांधने की नियमा शेष साता कर्म ' ' बांधने की भजना.
(११) संयति १ सम्यक्त्व दृष्टि २ भव्य ३ अभाषक ४ पर्या सा ५ परत ५ साकारोपयोग ७ अनाकारोपयोग ८ बादर ९ चरम १० और अचरम ११ इन ग्यारे बोलों में आठो कर्म बांधने की भनना.
(६) नो संयतिनोअसंयतिनोसंयतासंयति १ नो भव्या. भव्य २ नोपर्याप्तानोअपर्याप्ता ३ नो परत्तापरत्त ४ अयोगी ५ और नो सुक्ष्म नो बादर ६ एवम् छै बोलोंमें किसी कर्मका बंध नहीं है ( अबंधक )
(३) केवलज्ञान १ केवल दर्शन २ नो संज्ञी नो असंज्ञी ३ इन तीनों में वेदनीय कर्म बांधनेकी भजना. बाकी सातों कर्मों का अबंध.
(२) अवेदो १ अणाहारी २ इन दोनों में सात कर्म वांधने की मजना. आयुष्य कर्मका अबंधक और (१) मिश्रष्टि में सातो कर्म बांधे आयुष्य न बांधे इति ।
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम्
थोकडा नंबर ५४
( श्री भगवतीजी मूत्र श० ८ उ०८)
कौका बंध कोका बंध जाणने से ही उसको तोडनेका उपाय सरल. तासे कर सकते है इसवास्ते शिष्य प्रश्न करता है कि