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शीघ्रबोध भाग ५ वा.
- (१) आठ कर्म वेदने वाले घणा,
,, सात का एक.
, घणा. मनुष्य वर्ज के शेष २३ दंडकमे नियमा ८ कर्म वेदे और मनुष्य में समुच्चय जीवकी माफिक भांगा ३ समजनां इसी माफि. कदर्शनावर्णीय और अन्तराय कर्म भी समझना.
समु० एक जीव वेदनीय कर्म वेदतो ७-८-४ कर्म वेदे एवं मनुष्य शेष २३ दंडक का जीव नियमा ८ कर्म वेदे.
समु० घणा जीव वेदनीय कर्म वेदना ७-८-४ कर्म वेदे जिसमें ८.४ कर्म वेदने वाले सास्वता और ७ कर्म वेदने वाले असास्वता भांगा३
(१) ८-४ का घणा (२)८-४ का घणा ७ को एक (३॥ ८-४ का घणा ७ का भी घणा एवं मनुष्य में भी ३ भांगा सम. झना. शेष २३ दंडक में वेदनीय कर्म वेदता नियमा ८ कर्म वेदे.
वेदनीय कर्म की माफिक आयुष्य; नाम गोत्र कर्म भी समझना.
समु एक जीव मोहनीय कर्म वेदतों नियमा ८ कर्म वेदे एवं २४ दंडक समझना इसी माफिक घणा जीव भी ८ कर्म वेदे.
सर्व भांगा ज्ञानावर्णीयादि सात कर्म में समुच्चयजीवका तीन तीन और मनुष्य का तीन तीन एवं ४२ भांगा हुवा इति.
सेवं भन्ते सेबं भन्ने तमेव मञ्चम्.
च्यारो थोकडे के मांगा ४५३ बांधतां बांधे का भांगा ६९६ वेदता बांधे का मांगा
६ बांधतो वेदे का मांगा ४२ वेदता वेदे का भांगा