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शीघ्रबोध भाग ५ वां.
है एवं एक भवापेक्षी ७ भांगोका जीव मिले छठा भांगों शून्य है समय मात्र बंधभावापेक्षा है।
इर्यावहि कर्म क्या इन चार भांगो से बांधे ? १ सादिसांत २ सादि अनंत: अनादि सांत ४ अनादि अनंत १
सादि सांत मांगे से बांधे. क्यों कि इर्यावहि कम ११-१२-१३ बे गुणस्थानक के अंत समय तक बंधता है इसलिये आदि है और चौदमे गुणस्थानक के प्रथम समय बंध विच्छेद होने से अंत भी है बाकी तीन मांगे शून्य है.
इर्यावहि कर्म क्या देश (जीवकाएकदेश) से दश ( इयांवहि केएकदेश) बांधे १ या देस से सर्व २ या सर्व से देश ३ या सर्व से सर्व बांधे ४? ___ हां सर्व से सर्वका बंध हो सका है बाकी-तीनों भांगे शुन्य है. इति इर्यावहि कर्मबन्ध ॥ ___ सम्प्राय कर्म क्या नारकी. तिर्यंच, तिर्यंचणी मनुष्य मनुष्यणी, देवता. देवी, बांधे ४.
- हां बांधे क्योंकि सम्प्राय कर्म का बंध पहिले गुणस्थानक से दशमे गुणस्थानक तक है. ___सम्प्राय कर्म क्या स्त्री, पुरुष नपुंसक या बहुत से स्त्री, पुरुष, नपुंसक बांधे.
हां सब बांधे भूतकाल मे बहुत जीवोंने बांधा था, वर्तमान में बांधते है और भविष्य में कोइ बांधेगा कोई न बांधेगा कारण मोक्षमे जानेवाले है.
सम्प्राय कर्म क्या अवेदी (जिनकावेदक्षय होगयाहो) बांधे ?
हां, मूतकालमें बहुतसे जीवोंने बांधाथा. और वर्तमान