Book Title: Shighra Bodh Part 01 To 05
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukhsagar Gyan Pracharak Sabha

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Page 421
________________ लेश्याधिकार. ( ३७५) असंख्यात में भाग अधिक, मनुष्य, तिर्यंच, में जघन्य उत्कृष्ट अंतर मुहुर्त, देवतामे जघन्य पल्योपम के असंख्यातमें भाग याने नील लेश्या की उत्कृष्ट स्थिति से एक समय अधिक उत्कृष्ट पल्योपमके असंख्यातमे भाग. ४ तेजोलेश्या की समुच्चय स्थिति जघन्य अंतरमुहुर्त, उत्कृष्ट दो सागरोपम पल्योपम के असंख्यातमें भाग अधिक मनुष्य, तिर्यंच में जघन्य उत्कृष्ट अंतरमुहुर्त, देवताओं में जघन्य दश हजार वर्ष उत्कृष्ट दो सागरोपम पल्योपम पल्योपम के असंख्यात में भाग अधिक बैमानिक की अपेक्षा. ५ पालेश्या की समुच्चय स्थिति जघन्य अंतरमुहुर्त उत्कृष्ट दश सागरोपम अंतरमुहुर्त अधिक. मनुष्य, तिर्यंच में जघन्य उत्कृष्ट अन्तरमुहुर्त. देवतों में जघन्य दो सागरापम पल्योपम के असंख्यात में भाग अधिक ( तेजोलेश्या की उत्कृष्ट स्थिति से एक समय अधिक ) उत्कृष्ट दश सागरोपम अन्तरमुहुर्त अधिक. ६ शुक्ललेश्या की समुच्चय स्थिति जघन्य अन्तरमुहुर्त उत्कृष्ट ३३ सागरोपम अन्तरमुहुर्त अधिक मनुष्य, तिर्यचमें जघन्य उत्कृष्ट अन्तरमुहुर्त और मनुष्यों में केवलीकी जघन्य स्थिति अन्तरमुहुर्त. उत्कृष्ट नव वर्ष ऊंणा पूर्व क्रोड वर्ष. देवताओं में जघन्य दश सागरोपम अंतरमुहुर्त अधिक ( पडलेश्या को उत्कृष्ट स्थिति से १ समय अधिक) उत्कृष्ट ३३ सागरोपम अन्तर मुहूर्त अधिक. (१०) गतिद्वार कृष्णलेश्या, नोललेश्या, कापोतलेश्या, ये तीनों अधर्म लेश्या है दुर्गतिमें उत्पन्न होय । तेजो पन और शुक्ल लेश्या ये तीनों धर्मलेश्या कहलाती है. सुगति में उत्पन्न हों. • ' (११ च्यवनद्वार. सब संसारी जीवों को परमव जिस गति में जाना हो उसे मरते वरूत उस गति की लेश्या अन्तरमु

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