Book Title: Shighra Bodh Part 01 To 05
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukhsagar Gyan Pracharak Sabha

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Page 420
________________ ( ३७४ ) शीघ्रबोध भाग ६ वा. योग अपने वसमें हों. सिद्धांत पढता हुआ तप करे. थोडा बोले, जितेन्द्रिय हो ऐसे परिणाम वाले को पद्मलेशी समझना। शुक्ललेश्या का लक्षण-आर्त, रौद्र, ध्यान न ध्यावे धर्म ध्यान शुक्ल ध्यान ध्यावे प्रशस्त चित्त रागद्वेष रहित पंच समिति समिता त्रण गुप्तिए गुप्ता. सरागी हो या वीतरागी ऐसे गुणोंसहितको शुक्ल लेशी समझना । (८) स्थान द्वार-छ हो लेश्याकास्थान असंख्यात है वह अवसर्पिणी उत्सर्पिणी का जितना समय हो अथवा एक लोक जैसा संख्याता लोक का आकाश प्रदेश जितना हो उतने एक २ लेश्या के स्थान समझना ।। (९) स्थितिद्वार-१ कृष्णलेश्या जघन्य अंतर मुहूर्त उत्कृष्ट ३३ सागरोपम, अंतर मुहूर्त अधिक नारकी में जघन्य १० साग. रोपम पल्योपम के असंख्यात में भाग अधिक उत्कृष्ट ३३ सागरोपम अंतर मुहूर्ताधिक तिर्यच पृथ्व्यादि ९ दंडक । और मनुष्य मे जघन्य उत्कृष्ट अंतर मुहूर्त. देवताओं में जघन्य दसहजार वर्ष उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यात में भाग । २ नीललेश्या की समुच्चय स्थिति जघन्य अंतर मुहूर्त उ. त्कृष्ट १० सागरोपम पल्योपम के असंख्यात में भाग अधिक, ना. रकी में जघन्य तीन सागरोपम पल्योपमके असंख्यात में भाग अधिक, उत्कृष्ट १० सागरोपम पल्योपम के असंख्यात में भाग अधिक तिर्यच-मनुष्य में जघन्य उत्कृष्ट अंतर मुहूर्त देवताओं में नधन्य पल्योपमके असंख्यात में भाग याने कृष्णलेश्या क्ता उत्कृष्ट स्थितिसे १ समय अधिक उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यात में भाग. ३ कापोतलेश्याको समुच्चयस्थिति जघन्य अंतरमुहुर्त. उत्कृष्ट तीन सागरोपम पल्योपम के असंख्यात में भाग अधिक, नारकी में जघन्य दस हजार वर्ष उत्कृष्ट तीन सागरोपम पल्योपम के

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