Book Title: Shighra Bodh Part 01 To 05
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukhsagar Gyan Pracharak Sabha

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Page 422
________________ ( ३७६) शीघ्रबोध भाग ५ वा. हुर्त पहिले आती है. और उसकी स्थिति के पहिले समय और छेल्ले समय में मरण नहीं होता और विचले समयों में मरण होता है जैसे पहिले आयुष्य बंधा हुआ हो तो उसी गति की लेश्या आवे. अगर आयुष्य न बांधा हो तो मरण पहिले अंतरमुहुर्त स्थिति में जो लेश्या वर्तती है. उसी गतिका आयुष्य बांधे जिस गति में जाना हो उसी के अनुसार लेश्या आने के बाद अन्तरमुहुर्त वह लेश्या परिणमे और अन्तरमुहूर्त बाकी रहे जब जीव काल करके परभव में जावे इति। हे भव्य आत्माओ, इन लेश्याओं के स्वरूपको विचार कर अपनी २ लेश्या को हमेशा प्रशस्त रखने का उपाय करी इति. सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम् 90 थोकडा नवर ६२ (श्री भगवर्ताजी मुत्र श० १ ०२) ( सचिट्ठण काल ) सचिट्ठण काल कितने प्रकार का है ? च्यार प्रकार का यथा-नारकी सचिट्ठणकाल, तीर्यच स०, मनुष्य स०. देवता स०. नारकी सचिठ्ठणकाल कितने प्रकार का है ? तीन प्रकार का. यथा-सून्यकाल, असून्यकाल, मिश्रकाल, सून्यकाल उसे कहते है कि नारकी का नेरिया नारकी से निकल कर अन्य गति में ना कर फिर नारकी में आवे और पहिले जो नारकी में जीव थे उसमें का १ भी जीव न मीले तो. उसे सून्यकाल

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