Book Title: Shighra Bodh Part 01 To 05
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukhsagar Gyan Pracharak Sabha

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Page 418
________________ ( ३७२) शीघ्रबोध भाग ५ वां. दिवत् तेजोलेश्या-रक्तवर्ण जैसे हींगलू, उगता सूर्य, तोतेकी चोंच , . दीपककी शीखा, इत्यादिवत् पालेश्या- पीतवर्ण, जैसे हरताल, हलद, हलदका टुकडा सण वनास्पतिकावर्ण इत्यादिवत् पीला शुक्ललेश्या-श्वेत वर्ण जैसे संख, अंकरत्न मचकुंद वनस्पति, मोती का हार, चांदी का हार, इत्यादिवत्. (३) रसद्वार-कृष्ण लेश्या का कटुक रस, जैसे कडवा तूंबा का रस, नींब का रस, रोहिणी वनास्पति का रस, इनसे अनंत गुण कटु । नीललेश्या का-तीखा रस-जैसे सोंठका रस, पीपर का रस, कालीमिरच, हस्ती पीपर, इन सबके स्वाद से अनंतगुणा तीखा रस । कापोतलेश्या का खट्टा रस-जेसे कच्चा आम्र, तुंबर बनास्पति, कच्चा कबीठ की खटाइ से अनंतगुणा खट्टा । तेजोलेश्या का रस-जैसे पकाहुवा आम्र, पकाहुवा कवीठ के स्वाद से अनंतगुणा । पद्मलेश्या का रस-जैसे उत्तम वारुणी का स्वाद और विविध प्रकार के आसव के अनेतगुणा | शुक्ल लेश्या का रस-जैसे खजूर का स्वाद, द्राखका स्वाद, खीर सक्कर, इन से अनंतगुणा. ( ४ ) गंधद्वार-कृष्ण, नील कापोत; इन तीन लेश्याओं की गंध जैसे मृतक गाय, कुत्ता, सर्प से अनंतगुणी दुर्गध और तेजो, पद्म, शुक्ल, इन तीन लेश्याओं की गंध जैसे केवडा प्रमुख सुगन्धी वस्तु को घिसने से सुगन्ध हो उस से अनंतगुणी।। (५) स्पर्शद्वार-कृष्ण, नील कपोत, इन तीन लेश्याओं का स्पर्श जैसे करोत : आरी ) गाय बैल की जिह्वा साक वृक्ष के पत्र में अनंत गुणा और तेजो, पद्म, शुक्ल, इन तीनों लेश्याओं का स्पर्श जैसे बूर नामा वनास्पति, अक्खन सरसों के पुष्प से अनंतगुणा. (६) परिणामद्वार-छे लेश्या का परिणाम आयुष्य के तीजे

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