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कर्माबाधाकाल.
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५४ एवम् चौपन प्रकृति समुच्चय जीव बांधे तो, जघन्य १ सागरो पमका सातीया २ भाग पल्योपमके असंख्यातमें भाग उंणी और उत्कष्ट २० काडाकोडी सागरोपम अबाधाकाल २ हजार वर्षका हो. यही प्रकृति एकेन्द्री जघन्य १ साग बेइन्द्री २५ साग तेइन्द्री ५० साग० चौरिन्द्री १०० साग० अमंझी पंचेन्द्री १००० साग० पल्योपमके असंख्यातमें भाग उणी. सर्व स्थान और उत्कर पूरी बांधे. संझी पंचेन्द्री जघन्य अंतः कोडाकोडी साग० उत्कृष्ट समुचयपत्.
हास्य रति २ पुरुषवेद ३ देवगति ४ वज्रऋषभ नाराच संघयण ५ समचतुरस्र संस्थान ६ लघु स्पर्श ७ मृदुस्पर्श ८ उप्ण स्पर्श ९ स्निग्ध स्पर्श 10 श्वेतवर्ण 11 मधुरस १२ सुरभि गंध १३ देवानुपूर्वी १४ सुभगति १५ स्थिर १६ शुभ १७ सोभाग्य 1८ सुस्वर १९ आदेय २० यशःकीर्ति २१ उच्चैर्गोत्र २२ एवम् २२ प्रकृति जिसमें पुरुषवेद ८ वर्षका, यशः कीर्ति और उच्चैर्गोत्र इन दोनों प्रकतियोंकी जघन्य स्थिति ८ मुहूर्त शेष १९ प्रकृतियोंकी ज० स्थिती एक सागरोपमका सातिया 1 भाग पल्योपमके असंख्यातमें भाग ऊंणी, और २२ प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट स्थिति 10 कोडाकोडी सागरोपमकी बांधे, अबाधाकाल १ हजार वर्ष ॥ एकेन्द्रीसे यावत् असंही पंचेन्द्री पूर्ववत् १-२५-५० १००-१००० साग० प० अ० उणी. संझी पंचेन्द्री ३ प्रकृति समु.
यवत्, और १९ प्रकृति अंतः कोडाकोडी सागरोपम तथा उत्कृष्ट स्थिति २२ प्रकृतिकी दश कोडाकोडी सागरोपम अबाधाकात एक हजार वर्षका है।
खीवेद १ +सातावेदनीय २ मनुष्यगति ३ रक्तवर्ण ४ कषाय. रम ५ मनुष्यानुपूर्वी ६ इन छः प्रकृतियोमेसे शातावेदनीयका जष.
शातावेदनीय २ प्रकारकी १ इर्यावही पहेले समय बांधे दूसरे समय वेदे, और तीजे समय निर्जर संपायकी समुच्चयवत् ।