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कर्म बान्धतों बान्धे.
(३३७)
(३३७)
धनेवाले असास्वता भांगा ३। (१) सात कर्म बांधनेवाले घणा (सास्वता है) (२) सात कर्म बांधनेवाले घणा और आठ कर्म बांधनेवाला एक । (३) सात कर्म बांधनेवाले घणा और आठ कर्म बांधनेवाले भी घणा इसी माफिक १० भुवनपति, ३ विकलेंद्री, तीर्यच पांचेंद्री, व्यंतर देव, जोतीषि, और वैमानीक एवं १८ दंडक का ५४ भांगा समझना।
पृथ्व्यादि पांच स्थावर में ज्ञानावर्णीय कर्म बांधतां सात कर्म बांधनेवाले घणा और आठ कर्म बांधनेवाले भी घणा । भांगा नहीं उठता है। ।
घणा मनुष्य ज्ञानावर्णीय कर्म बांधे तो ७-८-६ कर्म बांधे जिसमें सात कर्म बांधनेवाले सास्वता ८-६ कर्म बांधनेवाले असास्वते जिसका भांगा ९. | सात कर्म आठ कर्म छ कर्म | सात कर्म आठ कर्म छ कर्म ३ (घणा) ० ० ३ , १ १
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एवं ९ भांगा हुवा. समुच्चय जीवोंका भांगा ३ अठारे दंडकका भांगा ५४ और मनुष्यका भांगा ९ सर्व मीलके ज्ञानावर्णीय कर्मका ६६ भांगा
हुवा इति।
एवं दर्शनावर्णीय, माम, गोत्र, अन्तराय. एवं चार कर्म झानावर्णीय साश होनेसे पूर्ववत् प्रत्येक कर्मका ६६ छाष्ट भांगा गीणनेसे ३३० भांगा हुवा । २२