Book Title: Shighra Bodh Part 01 To 05
Author(s): Gyansundar
Publisher: Sukhsagar Gyan Pracharak Sabha

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Page 375
________________ कर्माबाधाकाल. (३२९) मोहनीय कर्मकी २८ प्रकृतिमेंसे सम्यक्त्व मोहनीय और मिश्र मोहनीयका बंध नही होता. बाकी १४६ प्रकृति बंधती है. - उत्तर प्रकृति १४६ की जघन्य उत्कृष्ट स्थिति और अबाधाकाल कितना २ तथा बंधाधिकारी कौन २ है ! मतिज्ञानावरणीय १ श्रुत ज्ञानावरणीय २ अवधिज्ञानावरणीय ३ मनःपर्यध ज्ञानावरणीय ४ केवल ज्ञा० ५ चक्षुद० ६ अचक्ष ६० ७ अवधि द. ८ केवल ६०९ दानांतराय १० लाभा० ११ भोगा० १२ उपभोगा० १३ वीर्या० १४ इन चौदा प्रकृतियोंको समुख्य जीव बांधे तो जघन्य अंतरमुहूर्त तथा निद्रा १ निद्रानिद्रा २ प्रचला ३ प्रचला प्रचला ४ थीणद्धी ५ और अशातावेदनीय ६ यह छै प्रकृति समुश्चय जीव बांधे तो, जघन्य १ सागरोपमका सातिया. तीन भाग पल्योपमके असंख्यातमें भाग उणा । न्यून : और उत्कृष्ट स्थितीबंध इन वीसों प्रकृतियोंका ३० कोडाकोडी सागरोपम और अबाधाकाल ३००० वर्षका है. यही बीस प्रकृति एकेंद्री बांधे तो जघन्य १ सागरोपम पल्योपमके असंख्यातमें भाग ऊंणी. बेइन्द्री जघन्य २५ सा. पल्यो के असं० भाग ऊणी. तेइन्द्री ५० सा० पल्यो के असं० भाग ऊंणी. चौरिद्री १०८ साग० पल्यो के असं० भाग ऊंणी. और असंझी पंचेन्द्री १ हजार साग० पल्योपमके असंख्यातमें भाग ऊंणी बांधे. तथा उत्कृष्ट स्थिति एकेन्द्री १ मागरोपम, बे. इन्द्री २५ साग० तेइन्द्री ५. साग० चौरिन्द्री १०० साग० असंझी पंचेंद्री १ हजार साग० और संज्ञी पंचेंन्द्री जघन्य १४ प्रकृति अंतरमुहूर्त और ६ प्रकृति अंत: कोडाकोडी सागरोपमको बांधे. उत् कृष्ट वीसो प्रकृतिकी स्थिति और अबाधाकाल समुच्चय जीववत् । ____एक कोडाकोडी सागरोपमकी स्थिति पीछे सामान्यसे १ सौ वर्षका अबाधाकाल है. एसेही एकेन्द्रियादिक सबमें समझ लेना.

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