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( २४०) शीघ्रबोध भाग ४ था.
(१०.) रजतान-पात्रे बन्धते समय बिचमें कपडे दिये जाते है जीवरक्षा तथा पात्रोंकी रथा निमित्त । .
(११) पडिले-अढाइ हाथके लंबे, आधा हाथसे ज्यादा चोडे घट कपडेके ३-५-७ पडिले गोचरी जाते समय झोलीपर डाले जाते है. जीवरक्षा निमित्ते ।
(१२) पायकेसरी-पात्रे पुंजनेके लिये छोटी पुंजणी. जीवरक्षा निमित्त।
(१३) मंडलो-आहार करते समय उनका वन-पात्रोके नीचे बीछाया जाते है, जिनसे आहार कीसी वरतीपर न गीरे. जीवरक्षाके निमित्त रखते है ।
(१४ ) संस्तारक-उनका २॥ हाथ लम्बा रात्री में संस्तारा -शयन समय विछाया जाता है।
कंचवों और जंघीयों यह साध्वीयोंको शीलरक्षा निमित्त रखा जाते है, इन सिवाय उपग्रहा ही उपगरण जो कि
ज्ञाननिमित्त -पुस्तक पाने कागज कल्म सहि आदि। दर्शननिमित्त-स्थापनाचार्य स्मरणका आदि । चारित्रनिमित्त-दंडासन तृपणी लुणा गरणा आदि ।
(१) द्रव्यसे इन उपगरणोंको यत्नासे ग्रहन करे, यत्नासे रखे, यत्नासे काममें ले-वापरे-भोगवे ।।
(२) क्षेत्रसे सब उपकरण यथायोग योग्यस्थानकपर रखे. न कि इधर उधर रखे सो भी यत्नापूर्वक ।
(३) कालोकाल प्रतिलेखन करे. प्रतिलेखन २५ प्रकारको है जिसमें बारह प्रकारकी प्रशस्त प्रतिलेखन है।
१ प्रतिलेखन समय पत्रको धरतीसे उंचा रखे। २ प्रतिलेखन समय वस्त्रको मजबुत पकडे ।