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आराधना.
( २८३ )
तीनो पावे. उत्कृष्ट, मध्यम और जघन्य ॥ उत्कृष्ट चारित्र आराधनामें दर्शन आराधना कितनी पावै ? एक पावै.
उत्कृष्ट ॥ उत्कृष्ट ज्ञानआराधना वाले जीव कितने भव करे ? जघन्य एक भव, उत्कृष्ट दोय भव.
मध्यम ज्ञान आराधनावाले जीव कितने भव करे ? जघन्य दो. उत्कृष्ट तीन भव करे.
जघन्य ज्ञान आराधनावाले जीव कितने भव करे ? जघन्य तीन और उत्कृष्ट पंदराह भव करे || एवम् दर्शन और चारित्र आराधना में भी समझ लेना.
एक जीव में उत्कृष्ट ज्ञानआराधना होय, उत्कृष्ट दर्शन आराधना होय और उ० चारित्र आराधना होय. जिसके भांगा नाचे यंत्रमें लिखे हैं.
पहिला एक ज्ञान दुसरा दर्शन और तीसरा चारित्र तथा ३ के आंकको उत्कुष्ट २ के आंकको मध्यम और १ के आंकको अघग्य समझना,
३-३-३
३-३-२
३-२-२
२-३-३
२-३-२ २-१--२ १-३-१
२-३-१ २-१-१
१-२-२
२-२-२ १-३-३
१-२-१
२-२-१ १-३-२
११-२
१-१-१
सेवं भंते सेवं भंते - तमेव सच्चम्.