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श्री रत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमाला पुष्प नं. २९
श्री सयंप्रभमूरीश्वराय नमः शीघ्रबोध भाग ४ था.
थोकडा नम्बर ३२.
सूत्र श्री उत्तराध्ययनजी अध्ययन २४.
( अष्ट प्रवचन) ईर्यासमिति, भाषासमिति, एषणासमिति, आदान भंडमत्तोवगणसमिति, उच्चारं पासवण जल खेल मैल परिठावणिया समिति, मनोगुप्ति, वचनगुप्ति, कायगुप्ति इन पांच समिति तीन गुप्तिके अन्दर पांच समिति अपवाद है और तीन गुप्ति उत्सर्ग है जेसे मुनिकों उत्सर्ग मार्गमें गमनागमन करना मना है; परन्तु अपवाद मार्गमें आहार, निहार, विहार और जिनमन्दिर दर्शन करनेकों जाना हो तो इर्यासमितिपूर्वक जावे. उत्सर्ग मार्गमें मु. निको मौन रखना; परन्तु अपवाद मार्गमे याचना पुच्छना, आज्ञा लेना और प्रश्नादि पुच्छाका उत्तर देना इन कारणों से बोलाना पडे तो भाषा समिति संयुक्त बोले उत्सर्ग मार्गमे मुनिको आहार करना ही नहीं अपवादमें संयम यात्रा-शरीरके निर्वाह के लिये आहार करना पडे तो एषणासमिति निर्दोष आहार लाके करे, उत्सर्ग मार्ग में मुनिको निरूपाधि रहना, अपवादमें लज्जा तथा परिसह न सहन हो तो मर्यादा माफिक औषधि राखे, उत्सर्गमें