________________
(२१८) शीघ्रबोध भाग ३ जो.
- आहारसंज्ञा उत्पन्न होनेके च्यार कारण है. उदररीता होनेसे क्षुधावेदनिय कर्मोदयसे आहारकों देखनेसे और आहारकि चितवना करनेसे आहार संज्ञोत्पन्न होती है।
भयसंज्ञा उत्पन्न होने के च्यार कारण है अधैर्य रखनेसे. भयमोहनिय कर्मोदयसे, भय उत्पन्न करनेवा पदार्थ देखने से और भय कि चिंतवना करने से । हा हा अब क्या करुंगा ?
मेथुन संज्ञा उत्पन्न होने के च्यार कारण है. शरीर को पौष्ट : याने हाड मांस रोद्र बढानेसे. वेद मीहनिय कर्मोदयसे, मथुन उत्पन्न करनेवाले पदार्थ स्त्रि आदि को देखने से मैथुन कि चिंत. वना करने से मैथुनसंज्ञा उत्पन्न होती है। __परिग्रह संज्ञा उत्पन्न होने का च्यार कारण है. ममत्वभाव बढाने से. लीभ मोहनिय कर्मोदय से, धनादि के देखने से परिग्रह कि चिंतधना करनेसे"
क्रोध संज्ञा उत्पन्न होने के च्यार कारण है. क्षेत्र, खला, बाग. बगेचे. घर, हाट, हवेली. शरीरादि से, धनधान्यादि औपधि से क्रोध उत्पन्न होते है एवं मान, माया, लोभ. __लोकसंज्ञा-अन्य लोकों को देख के आप ही वह क्रिया करते रहै. ओघसंज्ञा-शुन्य चित्तसे विलापात करे खाजखीणे, तणतोडे, धरती खीणे इत्यादि उपयोग शुन्यतासे । ___ नरकादि चौवीसों दंडकों में दश दश संज्ञा पावे. कीसी दंडक में सामग्री अधिक मीलने से प्रवृत्ति रूपमें है कीसी जीवों कों इतनी सामग्री न मीलने से सतारूप में है फीर सामग्री मीलने से प्रवृत्ति रूप में भी प्रवृतेंगे संज्ञा का आस्तित्व छठे गुणस्थान तक है।