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शीघ्रबोध भाग ३ जो.
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पुद्गल प्रदेश अनंत गुणे है ( ४ ) उनोंसे काल प्रदेश अनंतगुणे : है (५) उनोंसे आकाश प्रदेश अनंत गुणे है इति । द्रव्यप्रदेशों की सामिल अल्पाबहुत्व | सर्व स्तोक धर्मद्रव्य अधर्मद्रव्य आकाश द्रव्य इनके आपस मे तूला द्रव्य है ( २ ) उनोंसे धर्मप्रदेश, अधर्म प्रदेश. आपस में तूले असंख्यात गुने है ( ३ ) उनोंसे जीवद्रव्य अनंत गुणे है ( ४ ) उनोसे जीव प्रदेश असंख्यात गुणे है ( ५ ) उनोसे पुद्गलद्रव्य अनंतगुणे. ( ६ ) उनोसे पुद्गल प्रदेश असंख्यातगुणे ( ७ ) उनोसे काल द्रव्यप्रदेश अनंतगुणे ( ८ ) उनो से.. आकाश प्रदेश अनंतगुणे । इति ।
सेवं भंते सेवं भंते - तमेवसच्चम्.
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थोकडानम्बर २३
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सूत्र श्री पन्नवणाजी पद ११ वा. ) (भाषाधिकार )
(१) भाषा की आदि जीवसे है अर्थात् भाषा जीवोंके होती है। अजीव के नही अगर कीसी प्रयोगसे अजीव पदार्थों से अवाज आति हो उसे भाषा नही कही जाती है वह तो जीतना पावर भरा हो उतनाही अवाज हो जाते है वह भी जीवोंकीही सत्ता समजना चाहिये ।
(२) भाषाकी उत्पति - तीन शरीरोंसे है. औदारीक शरीरसे, वैक्रियशरीरसे, आहारीक शरीरसे, और तेजस कारमण यह दो शरीर सूक्ष्म है वास्ते भाषा इनॉसे बोली नही जाती है।