________________
( २०४ )
araata भाग ३ जो.
होने से भाषापणे अग्रहन है जेसे एका आकाश प्रदेश अवगाह्ये एवं दो तीन यावत् संख्यात प्रदेश अवगाये नही लेते है किन्तु असंख्यात प्रदेश अवगाह्या अनंत प्रदेशी द्रव्य भाषापणे लीये जाते है । एक बोल |
( ग कालसे. एक समय कि स्थितिवाले एवं दो तीन यावत् दश समयकि स्थिति संख्यात समयकि स्थिति असंख्यात समयकि स्थिति के पुद्गल भाषापणे ग्रहन करते है । कारण स्थिति है सो सूक्ष्म पुगलों कि भी एक समय यावत् असंख्यात समय कि होती है और स्थुल पुद्गलों की भी एक समय, से असंख्यात समयकि स्थिति होती है। इस वास्ते एक समय से असंख्यात समयकि स्थिति के द्रव्य ग्रहन करते है. एवं १२ बोल ।
(घ) भावसे. वर्ण गन्ध रस स्पर्श के पुद्गल जीव भाषापणे ग्रहन करते है वह वर्ण मे चाहे. एक वर्ण का हो, चाहे दो तीन च्यार पांच वर्णका हो, एक वर्ण होनेसे चाहे वह श्याम वर्ण हो, चाहे हरा-लाल-पीला- सुपेद वर्णका हो; अगर श्याम वर्णका होनेपर चाहे वह एक गुण श्याम वर्ण हो, दो तीन च्यार यावत् दश गुण श्याम वर्ण संख्यातगुण श्याम वर्ण ११ असंख्यात गुण श्याम वर्ण १२ अनंतगुण श्यामवर्ण १३ हो जैसे एक गुणसे अनंतगुण एवं तेरहा बोलौसे श्याम वर्ण कहा है इसी माफीक पांचों वर्ण के ६५ बोल एवं गन्ध में सुभिगन्ध, दुःभिगन्ध के तेरहा तेरहा बोल २६ रसके तिक्त कटुक कषाय आबिल मधूर के तेरह तेरह बोलोसे ६५ स्पर्श में एक-दो-तीन स्पर्श के द्रव्य भाषापणे नही लेते है किन्तु च्यार स्पर्शवाले द्रव्य भाषापणे लिये जाते है यथा-शीतस्पर्श उष्णस्पर्श, स्निग्ध स्पर्श, ऋक्ष स्पर्श जिसमे एक गुणशीत दो तीन व्यार पाच छे सात आठ नौ दश संख्याते असंख्याते और अनंते गुण शीत स्पर्श के द्रव्य भाषापणे ग्रहन करते है इसी माफीक उष्णके १३ स्निग्धके १३ ऋक्षके १३ एवं