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भाषाधिकार. ( २०६) वासी मान राखी है वह भाषासत्य है जेसे मूर्तिकों परमेश्वर शुककों पोपट-रोटीको भाखरी-पतिको दादीया इत्यादि (२) स्थापना सत्य कीसी पदार्थकी स्थापना कर उसे उनी नामसे बोलावे जेसे चित्रादिकी स्थापना कर आचार्य कहना. मूर्तिकी स्थापनाकर अरिहंत कहना यह भाषा सत्य हे (३) नाम सत्य.जेसे एक गोपालका नाम राजाराम. एक मनुष्यका नाम केशरीसिंह. जेसे मृतिका नाम चिंतामणि पार्श्वनाथ यह सब नाम सत्य है (४) रूप सत्य एक दुसराका रूप बनावे उनोंको रूपसे बतलावे जेसे पत्थरकि मतिको परमेश्वरका रूप बनावे वह रूप सत्य है (५) अपेक्षा सत्य-गुरुकि अपेक्षा शिष्य है उनोंके शिष्यकि अपेक्षा वह शिष्य ही गुरु है, पिताकी अपेक्षा पुत्र है, पतिकि अपेक्षा भार्या है उन के पुत्रकि अपेक्षा वह माता है लघुकि अपेक्षा गुरु इत्यादि (७) व्यवहार सत्य-संसारमे कितनीक वातो व्यवहारमें मानीगह है वह वेसेही संज्ञा पड जानेसे उसे सत्य ही मानी गई है जेसे मार्ग जावे. जीव मरगया जीव जन्मा इत्यादि (८) भाषसत्य-कहनाथा पांच पांच देश परन्तु विस्मृतीसे ज्यादाकम भाषासे निकल गया तद्यपि उनौका भाव तो सत्य ही है कि पांच पांच दश होते है। ( ९ योग सत्य-मन वचन कायाके योग सत्य बरताना ( १० ) ओपमासत्य दरियावकों कटोराकि ओपमा जवारकों मोतियोंकी ओपमा मूर्तिको परमेश्वरकी ओपमा इत्यादि___ असत्य वचनके दश भेद है. क्रोधके वस हो बोलना मानके वस. मायाके वस. लोभके वस. रागके वस. द्वेषके बस हास्यके बस भय के बस. अगर सत्य भी है परन्तु क्रोधादि के घस हो बोलनेसे उसे असत्य ही कहा जाते है कारण आत्माके स्वरूपको १४