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आहाराधिकार.
(२१३)
समयकि स्थिति के पुद्गल, भावसे वर्ण गन्ध रस स्पर्श जेसे भाषाधिकारमें कहा है इसी माफीक. परन्तु इतना विशेष है कि भाषापणे च्यार स्पर्शवाले पुद्गल लेते थे यहां आहारपणे आठों स्पर्शवाले पुद्गल ग्रहन करते है. इस वास्ते पांच वर्ण दोगन्ध पांच रस आठ स्पर्श एवं वीस बोलसे प्रत्येक बोल पर तेरह तेरह बोलोंकि भावना करणी जेसे एक गुण काला पुदगल दोगुण तीनगुण च्यारगुण पांचगुण छगुण सात गुण आठगुण नौगुण दशगुण संख्यातगुण असंख्यातगुण और अनंतगुणकाले इसी माफीक वीसों बोलोकों तेरहा गुणे करनेते २६० बोल हुवे, स्पर्शादि १४ देखो भाषाधिकारमें बोल मीलानेसे १-१-१२-२६०-१५ सर्व २८८ बोलोंका आहार नारकी ग्रहन करते है । अधिकतर नारकी वर्णमें श्याम वर्ण हरावर्ण गन्धर्म दुर्भिगन्ध रसमें तिक्त कटुक रस, स्पर्शमें कर्कश गुरु शीत ऋक्ष स्पर्श के पुद्गलो का आहार लेते है वह ग्रहन कीये हुवे. पुद्गलोंको भी सडाके खराब करके पूर्वका वर्णादि गुणोको विप्रीत कर नये खराब वर्णादि उत्पन्न कर फीर ग्रहन कीए हुए पुदगलों का आहार करे।
इसी माफीक देवतों के तेरहा दंडकों में भी २८८ बोलौका आहार लेते है परन्तु वह शुभ द्रव्य वर्णमें पीला सुपेद गन्धर्म सुभिगन्ध रसमे आंबिल मधुर रस स्पर्शमें मृदुल लघु उष्ण स्निग्ध पुद्गलों का आहार करे वहभी उन पुद्गलोंकों पूर्वके खराब गुणो को अच्छा बनाके मनोज्ञ पुद्गलोका आहार करे इसी माफीक पृथ्व्यादि दश दंडकों में बीसों बोलोंके पुद्गलों को ग्रहन कर चाहे उसे अच्छे के खराब बनावे चाहे खराब के अच्छे • बनावे २८८ बोल पूर्ववत् आहार ग्रहन करे परन्तु पांच स्थायरमें दिशापेक्षास्यात् ३-४-५ दिशाका भी आहार लेते है कारण