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भाषाधिकार.
(२०५)
सर्व संख्या. द्रव्यका एक बोल, अनंत प्रदेशी स्कन्ध, क्षेत्रका एक बोल असंख्यात प्रदेशो वगाया. कालके बारहा बोल एक समयसे असंख्यात समय तक एवं १४ भावके वर्णके ६५ गन्धके २६ रसके ६५ स्पर्श के ५२ कुल २२२ बोल हुवे.
उक्त २२२ बोलौके द्रव्य भाषापणे ग्रहन करते हे सो(१। स्पर्श कोये हुवे. (२) आत्म अवगाहन कीये हुवे. (३) वह भी परम्पर अवगाहान कीये नही किन्तु अणन्तर अवगाहान कीये हुवे (४) अणुषा-छोटे द्रव्य भी लेवे (५) बादर स्थुल द्रव्य भी लेवे (६) उर्ध्व दिशाका (७) अधोदिशाका (८) तीर्यगदिशाका (९) आदिका (१०) अन्तका (११)मध्यका (१२) स्वविषयका (भाषाके योग्य) (१३) अनुपूर्वी । क्रमशः) (१४ भाषापणे द्रव्य ग्राहन करनेवाले प्रसनाली में होनेसे नियमा छे दिशाका द्रव्य ग्रहन करे (१५) भाषाका द्रव्य सान्तर ग्रहन करे तो जघन्य एक सामय उत्कृष्ट असंख्यात समय का अन्तर महुर्त. (१६) निरान्तर लेवे तो ज० दो समय उ० असंख्यात समयका अन्तरमहुर्त (१७) भाषाका पुदगल प्रथम समय ग्रहन करे. अन्त समय त्याग करे. मध्यम ग्रहन करे और छडता रहै. एवं २२२ के अन्दर १७ बोल मीलानेसे २३९ बोल होते है। समुच्चयजीव और १९ दंडक एवं बीस गुना करनेसे ४७८० बोल हुवे।
(९) समुच्चयजीव सत्यभाषापणे पुद्गल ग्रहन करे तो २३९ बोल पूर्ववत् कहना इसीमाफीक पांचेन्द्रियके शालहादंडक एवं सतरेको २३९ गुना करनेसे ४.६३ बोल हुवा इसी माफीक असत्यभाषाकामी ४०६३ इसीमाफीक मिश्रभाषाकामी ४०६३ व्यवहार भाषा मे समुञ्चय जीव और १९ दंडक हे कारण वकले. न्द्रिय में व्यवहार भाषा है वीसको २३९ गुणा करनेसे १७८० बोल हुवे समुच्चयके ४७८० बोल मोलानेसे एक वचनापेक्षा २१७४९