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क्रियाधिकार.
( १३७ )
नारकोकी स्यात् ३-४-० । एवं घणा जीवने एक नारकिकी स्यात् ३-४-० एवं घणा जीवोंको घणी नारकी की तीन क्रियाभी घणी प्यार क्रियाभी घणी अक्रियाभी है. इसी माफीक १३ दंडक देवतकाभी समझना तथा पांच स्थावर, तीन विकलेन्द्रि, तीर्यचपांचेन्द्रिय और मनुष्य यह दश दंडक औदाकके समुच्चय जीवकी माफीक ३-४-९-० समझना । समुश्चय जीवसे समुच्चयजीव ओर चौवीस दंडकसे १०० भांगा हुवे । एक नारकीने एक जीवकी कीतनी क्रिया लागे ? स्यात् ३-४-५ किया लागे. एक नारकीने घणा जीवोंकि कीतनी क्रिया ? स्यात् ३-४-५ क्रिया लागे, घणी नारकीने एक जीवकी कातनी क्रिया ? स्यात् ३-४-५ क्रिया लागे, घणी नारकीने घणा जीवोकी कीतनी क्रिया ? घणी ३-४-५ क्रिया लागे. एक नारकीने वैक्रिया शरीवाले १४ दंडक एकेक जीवोंकी स्यात् ३-४ क्रिया लागे. एवं एक नारकीने १४ दंडकके घणा जीवोंकी स्यात् ३-४ क्रिया एवं घणा नारकीने १४ दंडकोंके एकेक जीवोंकी स्यात् ३-४ किया एवं घणा नारकीने १४ दंडकोंके घणा जीवोंकी घणी ३-४ क्रिया लागे. इसी माफीक दश दंडक औदारीकके परन्तु वह स्यात् ३-४-५ क्रिया कहना कारण वैक्रिय शरीर मारा हुवा नही मरते है और औदारीक शरीर मारा हुवा मरभी जाते है । इति नरक १०० भांगा हुवा इसी माफीक शेष २३ दंडक २३०० भांगा समझना परन्तु यह ध्यानमें रखना चाहिये कि मनुष्यका दंडक समुच्चय जीant माफीक कहना कारण मनुष्य में चौदवे गुणस्थान वालोंकों बिलकुल क्रिया हे ही नही इस वास्ते समुश्चय जीवकी माफीक अक्रिय भी कहना एवं समुच्चयजीवके १०० • ओर चौवीस दंडक के २४०० सर्व मील २५०० भांगे हुवे ।
किया पांच प्रकारकी है काइया. अधिगरणीया पावसीया