________________
नयाधिकार. (१६३ ) कर जीव माने, ऋजुसूत्रनय परिणामग्राही होनेसे सुख दुःख वेदते हुवे जीवोंकों जीव माने इसने असंज्ञीकों नही माने, शब्द. नय मायक गुणवालेको जीव माना, संभिरूढनयवाला केवलज्ञानकों जीव माना, एवंमूतनय सिद्धोंको जीव माना। ___सामायिक पर सात नय. नैगमनयवाला, सामायिक के परिणाम करनेवालोंको सामायिक माने. संग्रहनयवाला सामायिकके उपकरण चरवलो, मुखवस्त्रीकादि ग्रहन करनेसे सामायिक माने. व्यवहारनयवाला सामायिक दंडक उचारण करनेसे सामायिक माने. अजुसूत्रनयवाला ४८ मिनीट समता परिणाम रहनेसे सामायिक माने. शब्दनय अन्तानुबन्धी चोक ओर मिथ्यात्वादि मोहनिका क्षय होनेसे सामायिक माने. संभिरूढ नयवाला रागद्वेषका मूलसे नाश होनेपर वीतरागकों सामायिक माने. एवंभूतनय संसारसे पार होना ( सिद्धावस्था ) कों सामायिक माने.
धर्म उपर सात नय. नैगमनय धर्मशब्दको धर्म माने, इसने सर्व धर्मवालोंको धर्म माना. संग्रहनय कुलाचारकों धर्म माना. इसने अधर्मकों धर्म नही मानते हुवे नीतिको धर्म माना. व्यवहारनयवाला पुन्यकि करणीकों धर्म माना. भृजुसूत्रनयवाला अनित्यभावनाको धर्म माना इस्म सम्यग्दृष्टिमिश्यादृष्टि दोनोंको ग्रहन कीया. शब्दनयवाला क्षायिकभावकों धर्म माने. संभिरूढ केवलीयोंको धर्म माने. एवंभूतनय संपुरण धर्म प्रगट होने पर सिद्धोंकों ही धर्म माने।
बाण पर सात नय. कीसी मनुष्यके बाण लगा तब नैगमनयवाला बाणका दोष समझा. संग्रहनयवाला सत्ताकों ग्रहन कर बाण फेकनेकालाका दोष समझा. व्यवहारनयवाला गृहगोचरका