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प्रमाणाधिकार.
( १७७)
किन्तु मट्टिका कारण घट नही है। पट्टका कारण तंतु है किन्तु तंतुका कारण पट्ट नही है। रोटीका कारण आटा है किन्तु आ. टाका कारण रोटी नही है । सूवर्णका कारण कसोटी है किन्तु कसोटीका कारण सुवर्ण नही है । मोक्षका कारण ज्ञान दर्शन चारित्र है किन्तु ज्ञान दर्शन चारित्रका कारण मोक्ष नही है।
(ख) गुणेणके छे भेद है जेसे पुष्पोमें सुगन्धका गुण, सुव. र्णम कोमलताका गुण, दुधमें पौष्टिक गुण, मधुमें स्वादका गुण, कपडामें स्पर्शका गुण, चैतन्यमे ज्ञान गुण, परमेश्वरमें पर उपकारका गुण । इत्यादि।
(ग) आसरणका छे भेद है.धुवेंकों देख जाने कि यहां अग्नि होगा, विद्युत् वादलोंकों देख जाने कि वर्षात होगें, बुंद देखके नाने कि यहां पाणी होगें । अच्छी प्रवृत्ति देख जाने कि यह कोइ उत्तम कुलका मनुष्य है । साधुकों देख जाने यह अच्छा शील स. त्यवान होगें | प्रतिमा देख जाने यह परमेश्वरका स्वरूप है।
(घ) आवयवेणंके अढारा भेद है। यथा-दान्ताशुल से हस्ति जाने, श्रृंगकर भेसा जाने, शिखासे कुर्कट जाने, तिक्षण दाढोंसे सुवर जाने, विचित्र वर्णवाली पांखो से मयर जाने, स्कन्धकर अश्व जाने, नखकर व्याघ्र जाने, केशकर चमरी गौ जाने, लम्बी पुच्छ कर बंदर जाने, दोपांवसे मनुष्य जाने, च्यार पांवोंसे पशु जाने, बहू पावोसे कानशीलाया जाने, केशरों करके शादलसिंह जाने, चुडीयों से ओरत जाने, हथियार से सुभट जाने, एक काव्यसे कवि जाने, एक शीतकर रांधा हुवा अन्नाजकों जाने । एक व्याख्यान से पंडित जाने, दयाका परिणाम करभव्य जीव जाने, शासनकि रूचीसे सम्यग्दृष्टि जाने प्रतिबिंब देख परमे. श्वर जाने इत्यादि-इतिसासवं अनुमान प्रमाणके पांच भेद हुवे । १२