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पद्रव्याधिकार.
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(१६) परिणामिद्वार - निश्चय नयसे षद्रव्य अपने अपने गुणों में सदैव परिणमते है वास्ते परिणामि स्वभाव वाले ह और व्यवहार नयसे जीव और पुद्गल अन्य अन्य स्वभावपणे परिणमते है जेसे जीव, नरक तीर्यच मनुष्य देवतापणे और पुद्गल हि प्रदेशी यावत् अनंत प्रदेशी पणे परिणमते है ।
( १७ ) जीवद्वार - षट् द्रव्य में पांच क्रय अजीब है और एक जीव द्रव्य है सो जीव है वह असंख्यात आत्म प्रदेश ज्ञान दर्शन चारित्र वीर्य गुण संयुक्त निश्चय नयसे कर्मोंका अकर्ता अभक्ता सिद्ध सामान्य है ।
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(१८) मूर्त्तिद्वार - षट् द्रव्य में पांच द्रव्य अमूर्ति याने अरूपी है एक पुद्गल द्रव्य मूर्तिमान है परन्तु जीव जो कर्म संगसे नये नये शरीर धारण करते है उनापेक्षा जीव भी उपचरित नयसे मूर्तिमान है ।
1 १९ ) प्रदेश द्वार - षट् द्रव्य में पचि द्रव्य सप्रदेशी है. एक काल द्रव्य अप्रदेशी है कारण धर्म द्रव्य अधर्म द्रव्य असंख्यात प्रदेशी है. एक जीव के असंख्यात्त प्रदेश है और अनंत जीवों के अनंत प्रदेश है. आकाश द्रव्य अनंत प्रदेशी है। पुद्गल द्रव्य निश्चय नयसे तो परमाणु है परन्तु अनंते परमाणु एकत्र होनेसे अनंत प्रदेशी है काल द्रव्य वर्तमान एक समय होनेसे अप्रदेशी है. भूत भविष्य काल अनंत है।
( २० ) एकद्वार - षट् द्रव्योंमें धर्म द्रव्य अधर्मद्रव्य आकाश द्रव्य यह प्रत्येक एकेक द्रव्य हैं जीव. पुद्गल-ओर कालद्रव्य अनंते अनंते द्रव्य है ।
(२१) क्षेत्रद्वार- एक आकाश द्रव्य क्षेत्र है और शेष पांच