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प्रमाणाधिकार.
( १७९)
पमा अनयथार्थ है कारण एसा कीसीने कीया नहीं है यह सो केवलीयोंने अपने ज्ञानसे देखा है. जिसका प्रमाण बतलाया है।
(ग) अनयथार्थ वस्तु और यथार्थ ओपमा-जेसे दोहा-पत्र पडां तो इम कहै । सुन तरवर वनराय
अबके विछडियों कब मीले, दूर पड़ेंगे जाय ॥१॥ तब तरूवर इम बोल्यों, सुन पत्र मुझ वात हम घर यह ही रीत है, एक आवत एक जात ॥२॥ नही तरू पत्र बोलीया, नही भाषा नही विचार
वीर व्याख्यानी ओपमा, अनुयोग द्वार मझार ॥३॥ याने तरूवर और पत्रके कहने का तात्पर्य यथार्थ है यह ओपमा यथार्थ परन्तु वस्तुगते वस्तु यथार्थ नही है.
(घ) अनयथार्थ वस्तु अनयथार्थ ओपमा अश्वके श्रृंग गदम जेसे है और गर्दभके श्रृंग अश्व जेसे है न तो अश्वके श्रृंग है न गर्दभके श्रृंग है केवल ओपमा ही है इति प्रमाणद्वार ।
(१०) सामान्य विशेषद्वार-सामान्य से विशेष बलवान है। जेसे सामान्य द्रव्य एक विशेष द्रव्य दो प्रकारके है (१) जीवद्रव्य (२) अजीवद्रव्य. सामान्य जीवद्रव्य एक, विशेष नीवद्रव्य दो प्रकारके (१) सिद्धोंके जीव ( २ ) संसारी जीव. सामान्य सिद्धोंके जीव विशेष सिद्धोंके जीव दो प्रकारके (१) अणंतर सिद्ध (२) परम्पर सिद्ध इत्यादि. सामान्य संसारी जीव एक प्रकार विशेष संयोगी अयोगी एवं क्षीण मोह, उपशान्त मोह. सकषाय-अकषाय-प्रमत्त-अप्रमत्त--संयति--असंयति--असंयति नारकी तीर्यच मनुष्य देवता इत्यादि । जो अजीवद्रव्य हे सो सामान्य एक है विशेष दो प्रकारके है रूपी अजीव द्रव्य, अरूपी अजीव द्रव्य, सामान्य रूपी अजीव विशेष स्कन्ध देश प्रदेश