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शीघ्रबोध भाग ३ जो.
(३) दिठ्ठिसामन्नके अनेक भेद - जेसे सामान्य से विशेष. जाने, विशेष से सामान्य जाने, एक शिकाका रूपैयाको देख बहुत से रूपयोंको जाने, एक देशके मनुष्यकों देख बहुत से मनुarat जाने इत्यादि । यह भी अनुमान प्रमाण है ।
और भी अनुमान प्रमाण से तीन कालकि बातोंको जाने. जेसे कोइ प्रज्ञावन्त मुनि विहार करते किसी देश में जाते समय बागबगीचे शुके हुवे देखे, धरती कादे कीचड रहीत देखी, लाटों खलोमें धान के समूह कम देखा, इसपर मुनिने अनुमान कीया कि ative भूतकालमे दुर्भिक्ष था एसा संभव होते है । नगरमें जाने पर वहां बहुत से लोगोंके उंचे उंचे मकान देख मुनि गौचरी गये परन्तु पर्याप्ता आहार न मीलने से मुनिने जाना कि यहां वर्तमान
दुर्भिक्ष वर्त रहा संभव होते है. मुनि विहारके दरम्यान पर्वत, पहाड भयंकर देखा, दिशा भयोत्पन्न करनेवाली देखो, आकाश में वादले विजली अमोघे उदगमच्छे धनुष्य बान न देखने से अनुमान कीया कि यहां भविष्य में दुष्काल पडने के चिन्ह दीखाइ देते है। इसी माफीक अच्छे चिन्ह देखने से अनुमान करते है कि sive भूत, भविष्य और वर्तमान कालमें सुभिक्षका अनुमान होते है यह सब अनुमान प्रमाण है ।
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( ४ ) ओपमा प्रमाणके च्वार भेद है यथा(क) यथार्थ वस्तुकि यथार्थ ओपमा - जेसे पद्मनाभ तीर्थकर केसा होगा कि भगवान वीर प्रभु जेसा ।
(ख) यथार्थ वस्तु और अनयथार्थ ओपमा जेसे नारकी, देवतोंका पल्योपम सागरोपमका आयुष्य यथार्थ है किन्तु उनके लिये पक योजन प्रमाण कुवाके अन्दर बाल भरना इत्यादि ओ