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निक्षेपाधिकार.
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अनेक प्रकार कि स्थापना सर्व मील स्थापना के ४० भेद होते है. इनके अतिरिक्त अन्य प्रकार से भी स्थापना होती है.
प्रश्न- नाम और स्थापना में क्या भेद विशेष है ?
उत्तर-नाम यावत्काल याने चीरकाल तक रहता है और स्थापना स्वल्पकाल रहती है अथवा नाम निक्षेपाक निष्पत् स्थापना निक्षेपा - विशेष ज्ञानका कारण है जैसे
लोक का नाम लेना और लोक कि स्थापना ( नकशा ) देखना. अरिहंतोंकां नाम लेना और अरिहन्तोंकि मूर्त्ति कों देखना. जम्बुद्विपका नाम लेना और नकशा देखना. संस्थान दिशा भांगा इत्यादि अनेक पथार्थ है कि जिनका नाम लेने कि निष्पत स्थापना ( नकशा ) देखने से विशेष ज्ञान हो सकते है इति स्थापना निक्षेप ।
(३) द्रव्य निक्षेपा - भाव शून्य वस्तु को द्रव्य कहते है जीस
वस्तु भूतकाल में भावगुण था तथा भविष्य में भावगुण प्रगट होनेवाला है उसे द्रव्य कहा जाता है जैसे भुतकाल में तीर्थ कर नाम कर्म उपार्जन किया है वहांसे लगाके जहांतक केवल ज्ञान उत्पन्न न हुवे ३४ अतिशय पैंतीस वाणि गुण अष्ट महा प्रतिहार प्राप्त न हुवे वहां तक द्रव्य तीर्थकर कहा जाता है तथा तीर्थकर मोक्ष पधारगये के बाद उनका नाम लेना वह सिद्धों का भाव निक्षेपा है परन्तु अरिहन्तोंका द्रव्य निक्षेपा हे घह भूत भविष्य कालके अरिहन्त वन्दनीय पूजनीय है उन द्रव्य नि. क्षेपाके दो भेद है (१) आगमसे (२) नोआगमसे जिसमे आगमसे द्रव्य निक्षेपा जो आगमों का अर्थ उपयोग शून्यता से करे जिस - पर आवश्यक का दृष्टान्त यथा कोई मनुष्य आवश्यक सूत्र का अध्ययन किया है. जैसे
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