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श्री रत्नप्रभाकर ज्ञानपुष्पमाला पुष्प नं. २८
अथ श्री
शीघ्रबोध नाग ३ जो ।
थोकडा नम्बर २०
सूत्र श्री अनुयोग द्वारादि अनेक प्रकरणोंसे. ( बालावबोध द्वार पचवीस )
१ ) नयसात ( २ ) निक्षेपा च्यार ( ३ ) द्रव्यगुण पर्याय ( ४ ) द्रव्य क्षेत्र काल भाव ( ५ ) द्रव्य भाव ( ६ ) कार्य कारण (७) निश्चय व्यवहार ( ८ ) उपादान निमत्त ( ९ ) प्रमाण च्यार (१०) सामान्य विशेष ( ११ ) गुणगुणी ( १२ ) ज्ञय ज्ञान ज्ञानी (१३) उपनेवा, विघ्नेवा, ध्रुवेवा ( १४ ) अध्येय आधार ( १५ ) आविर्भाव तिरोभाव ( १६ ) गौणता मौख्यत्ता ( १७ ) उत्सर्गोपवाद (१८) आत्मातीन ( १९ ) ध्यान च्यार ( २० ) अनुयोग च्यार (२१) जागृनातीन ( २२ ) व्याख्या नौ ( २३ ) पक्ष आठ ( २४ ) सप्तभंगी (२५) निगोद स्वरूप । इतिद्वार ॥
नय - निक्षेपों के विवेचनमें बडे बडे ग्रन्थ बनचुके है परन्तु उनी ग्रन्थों में विस्तार से विवेचन होनेसे सामान्य बुद्धिवाले सुगमता पूर्वक लाभ उठा नही सकते है तथा विवरणाधिक होने से वह कण्ठस्थ करनेमें आलश्य प्रमाद हुमला कर चैतन्यकि शक्ति रोक देते है इस वास्ते खास कंठस्थ करने के इरादेसेही हमने यह