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अजीवतत्त्व. (१०३) प्रतिपक्षी है उन हरावर्ण में दो गन्ध, पांच रस, आठ स्पर्श, पांच संस्थान एवं वीस बोल पावे इसी माफीक लालवर्णम २० बोल पीला वर्णमें २० बोल श्वेतवर्णमें २० बोल. कुल पांचो वर्णों के १०० बोल होते है।सुभि गन्धकि पृच्छा दुर्भिगन्ध रहा प्रतिपक्षी जिस्मे बोल पांच वर्ष पांच रस, आठ स्पर्श, पांच संस्थान एवं २३ बोल पावे इसीमाफीक दुर्भिगन्धमें भी २३ बोल पावे एवं गन्धके ४६ बोल रस तिक्त रसकि पृच्छा च्यार रस प्रतिपक्षी जीस्मे बोल पांच वर्ण, दो गन्ध, आठ स्पर्श.पांच संस्थान एवं २० एवं कटुकमें २०कषायलेमे२० आम्बिलमें २० मधुरमें २० सब मीलानेसे रसके १०० बोल होते है।
कर्कशस्पर्श कि पृच्छा मृदुलस्पर्श प्रतिपक्षी शेष बोल पांचवर्ण दोगन्ध पांच रस छे स्पर्श पांच संस्थान एवं बोल २३ पावे एवं मृदुल स्पर्शमें भी २३ बोल पावे एवं गुरु स्पर्श कि पृच्छा लघु प्रतिपक्ष बील २३ पावे एवं लघु २३ शीतकि पृच्छा उष्ण प्रतिपक्ष बोल २३ एवं उष्णमें २३ बोल स्निग्ध कि पृच्छा ऋक्ष प्रतिपक्ष बोल पावे २३ इसी माफीक ऋक्ष स्पर्श में भी २३ बोल पावे. परिमण्डल संस्थान की पृच्छ च्यार संस्थान प्रति पक्ष बोल पावे पांच वर्ण दोगन्ध पांच रस आठ स्पर्श एवं २० बोल. इसी माफीक वट संस्थानमें २० तंस संस्थानमें २० चौरंस संस्थानमें २० आयतान संस्थान में २० । कुल बोल वर्ण के १०० गन्धके ४६ रसके १०० स्पर्शके १८४ संस्थानके १०० सर्व मीलके ५३० बोल और पहले अरूपीके ३० बोल एवं अजीव तत्वके ५६० भेद
होते है इनके सिवाय अजीव द्रव्य अनंते है उनोंके अनंते भेद . भी होते है इति अजीवतत्व ।
(३) पुन्य तायके शुभ लक्षण है पुन्य दुःख पूर्वक बन्धे जाते