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नवतत्त्व.
( १२३ )
प्रश्न करनेके छे भेद है, अपनेको शंका होनेसे प्रश्न करे.. दुसरे मिथ्यात्वीयोंको निरुत्तर करनेको प्रश्न करे । अनुयोग ज्ञानकी प्राप्ति के लीये प्रश्न करे. दुसरोंको बोलानेके लिये प्रश्न करे. जानता हुवा दुसरोंको बोधके लीये प्रश्न करे. अनजानता हुवा गुरवादिकी सेवा करनेके लिये प्रश्न करे ।
परावर्तन करनेके आठ भेद है. काले, विनये, बहुमाणे, उवहाणे, अनिन्नवणे, व्यञ्जन, अर्थ, तदुभय इन आठ आचारों से स्वाध्याय करे तथा इनोंकी ३४ अस्वाध्याय है उनको टालके स्वाध्याय करे, अस्वाध्याय आगे लिखी है सो देखो ।
अनुपेक्षा के अनेक भेद है. पढा हुवा ज्ञानको वारंवार उपयागमें लेना. ध्यान, श्रवण, मनन, निदिध्यासन, वर्तन, चैतन्य, जादिके भेद करना ।
धर्मकथाके च्यrर भेद है. अक्षेपणी, विक्षेपणी, संवेगणी, farari. इनके सिवाय विचित्र प्रकारकी धर्मकथा है.
जैन सिद्धान्त पढने वालोंको पहलां इस माफीक( १ ) द्रव्यानुयोगके लिये न्यायशास्त्र पढो. ( २ ) चरणकरणानुयोगके लिये नीतिशास्त्र पढो. (३) गणितानुयोग के लिये गणितशास्त्र पढी.
( ४ ) धर्मकथानुयोग के लिये अलंकारशास्त्र पढो.
वह च्यार लौकीक शास्त्र च्यारों अनुयोगद्वारके लिये मददगार है. इनोंके पहला गुरुगम्यताकी खास आवश्यक्ता है, इस वास्ते जैनागम पढनेवालोंको पहले गुरुचरणोंकी उपासना करनी चाहिये ।