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नवतत्त्व.
( १३१ )
arial अनेक प्रकारकी तपश्चर्या कर सर्वथा कर्मोंका नाश कर जीवकों निर्मल बना अक्षयपद को प्राप्त करना उसे मोक्ष तत्व कहते है जिसके सामान्य चार भेद ज्ञान, दर्शन, चारित्र. वीर्य. विशेष नौ भेद है
( १ ) सत्पद परूपना, सिद्ध पद सदाकाल शास्वता है ( २ ) द्रव्य प्रमाण - सिद्धों के जीव अनंता है।
( ३ ) क्षेत्र प्रमाण - सिद्धोंके जीव सिद्ध शीलाके उपर पैंतालीस लक्ष योजन के विस्तारवाला एक योजनके चौवीसवां भाग में सिद्ध भगवान विराजते है ।
( ४ ) स्पर्शना- एक सिद्ध अनेक सिद्धोंको स्पर्श कर रहे है अनेक सिद्ध अनेक सिद्धोंको स्पर्श कर रहे है ।
( ५ ) काल प्रमाण - एक सिद्धोंकि अपेक्षा आदि है परन्तु अन्त नही है ओर बहुत सिद्धोंकि अपेक्षा आदि भो नही ओर अन्त भी नही है ।
( ६ ) अन्तर - सिद्धों के परस्पर अंतिरा नही है
( ७ ) संख्या- सिद्धों के जीव अनंता है वह अभव्य जीवोंसे अनंत गुणा और सर्व जीवोंके अनंतमें भाग है ।
(८) भाव - सिद्धों के जीव क्षायक ओर परिणामीक भावमें है। ( ९ ) अल्पाबहुत्व -
( १ ) सर्व स्तोक चोथी नरकसे निकला सिद्ध हुवे है २ ) तीजी नरक से निकले सिद्ध हुवे संख्यात गुणे
( ३ ) दुजी नरकसे निकले सिद्ध हुवे संख्यात गुणा
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( ४ ) वनास्पति से
(५) पृथ्वी काय से
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