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अनीवतत्त्व. (१०१) देश, प्रदेश. आकाशास्तिकायके स्कन्ध, देश, प्रदेश. एवं ९ भेद
और एक कालका समय गीननेसे दश भेद हुवे.धर्मास्तिकाय पांच बोलोंसे जानी जाती है द्रव्यसे एक द्रव्य. क्षेत्रसे लोकव्यापक कालसे आदि अन्त रहित भावसे अरूपी जिस्मे वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श नही है गुणसे चलन गुण. जेसे पाणीके आधारसे मच्छी चलती है इसी माफीक धर्मास्तिकायके आधारसे जीवाजीव गमनागमन करते है। अधर्मास्तिकाय पांच बोलोसे जानी जाती है द्रव्य से एक द्रव्य. क्षेत्रसे लोकव्यापक कालसे आदि अन्त रहित भावसे अरूपी वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श रहित, गुणसे-स्थिरगुण जैसे श्रम पाये हए पुरुषोंकों वृक्षकी छांयाका दृष्टान्त । आकाशा. स्तिकाय पांच बोलोंसे जानी जाती है । द्रव्यसे एक द्रव्य, क्षेत्रसे लोकालोक व्यापक, कालसे आदि अन्त रहित भा. बसे अरुपी वर्ण गन्ध रस स्पर्श रहित गुणसे आकाशमें विकासका गुण भीतमें खुटी तथा पाणीमें पतासाका दृष्टान्त । कालद्रव्य पांच बोलोसे जाने जाते है द्रव्यसे अनंत द्रव्य कारण काल अनंते जीत्र पुद्गलोंकि स्थितिको पुरण करता है इस वास्ते अनंत द्रव्य माना गया है क्षेत्रसे आढाइ द्विप परिमाणे कारण चन्द्र, सूर्यका गमनागमन आढाइद्विपमें ही है समयावलिक आदि कालका मान ही आढाइद्विपसे ही गीना जाते है. कालसे आदि अन्त रहित है भावसे अरूपी. वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श रहित है गुणसे नवी वस्तुकों पुराणी करे और पुराणी वस्तुकों क्षय करे जेसे कपडा कतरणीका दृष्टान्त एवं ३-३-३-१-५-५-५-२ सर्व मील अरूपी अजीवके ३० भेद हुवे. - रूपी अजीवतत्यके ५३० भेद है निश्चयनयसे तो सर्व पुद्गल परमाणु है व्यवहारनय से पुद्गलों के अनेक भेद है जेसे दो प्रदेशी